महिला दिवस का धूमधाम खत्म हुआ।फिर से वही महिलाओं वाले जोक मार्केट में छा गए है।महिलायें भी ऐसे मसेज पढ़ कर कभी :) तो कभी : p ईमोजी भेज कर मजे लेती रहती है।क्या करे आदत जो पड़ गई है ऐसे मज़ाक की।पुरुष प्रधान समाज में एक दिन महिला दिवस मनाया गया यही काफी है।इससे ज्यादा की उम्मीद आपको फेमिनिस्ट बना सकता है।छोड़िए ये सब तो चलते रहेगा ,होली का त्यौहार है इसका आनंद लीजिये।उत्तर प्रदेश में तो चुनाव के नतीजे से लगता है ,होली अब तो भगवा होगी।वही बिहार में तो महिला प्रधान गानों की बारिश हो रही होगी।आहाहा ,देवर भाभी ,जीजा -साली के गानों की धूम मची होगी।कई बार आस -पास ऐसे गाने सुनकर मैंने औरतों को मुस्कुराते देखा है।क्या सच में उन्हें अच्छा लगता है ,या फिर अपनी झेंप मिटाने के लिए हँसी का सहारा लेती है ? माना हँसी मज़ाक का त्यौहार है ,पर इस हद तक।ये तो हद ही हो जाती है।खैर महिलाओं का तो शोषण का इतिहास रहा है।इसमें नया कुछ नही है। नया है इनका लीपा पोती कर महिला ससक्तिकरण का ।अब ऐसा भी नही कि, बदलाव नही हुआ।हुआ है ,पर उम्मीद से अब भी बहुत कम।अब देखिये न त्यौहार का मतलब आज भी महिलाओं के लिए पकवान बनाना भर ही है। पुरे दिन चूल्हा -चौका करते रहो।समय निकाल कर थोड़ा सज -सँवर लो।बाद बाकी देवर ,जीजा आते होंगे ,कभी आपकी मर्जी तो कभी बिना मर्जी के रंगने के लिए ।आप बस हँसी का नकाब ओढ़े रहो।
लड़कियों के दुःख अजब होते है ,सुख उससे अज़ीब ,हॅंस रही है और काजल भीगता है साथ
बसंतपुर जहां बचपन बीता वहां, मैंने जीवन के कई रंग देखे है।आस -पड़ोस में रंग खेलने जाती तो देखती कोई देवर- भाभी से जबरदस्ती की ठिठोली कर रहा होता।हम कुछ सखियाँ इंतज़ार करते की कब वो महानुभाव जाये और हमारा नंबर आये ,भाभी को रंगने का।लड़कियों का फिर भी हाल ठीक है ,पर भाभीयों पे तो जुल्म हो जाता है।हमें देख कर भाभी ख़ुशी से खिल जाती।उस मनचले देवर से कहती- जाई राउर बहिन लोग आएल बा ,उनका से खेली होली।देवर बेचारे दांत दिखा के चल देते।शुक्र है ,ऐसे महानुभाव ना तो मेरे देवर है न भाई।वरना कांड हो गया होता। खैर उनके जाते ही वो भाभी कहती -बड़ा बदमाश लईका बानी ,पूरा कपड़ा ख़राब कर देनी। इस पर उनकी सास कहती -जाए द परब के दिन ह। देवर -भाभी के त रिवाज ह हँसी मज़ाक के। कास भाभी कह पाती-
मेरी सेज हाज़िर है
पर जूते और कमीज़ की तरह
तू अपना बदन भी उतार दे
उधर मूढ़े पर रख दे
कोई खास बात नहीं
बस अपने अपने देश का रिवाज़ है।
सासु माँ आपने तो लाड़ से कह दिया -ये घर गन्दा मत करा। होने जा भाभी रसोई में बाड़ी।क्या आपने मुझसे पूछा की, मैं कैसे रंगना गना चाहती हूँ ,किससे रंगना चाहती हूँ ? काश कोई मुझे समझ पाता ,
मेरे दिल पे हाथ रखो ,मेरी बेबसी को समझो
लड़कियों के दुःख अजब होते है ,सुख उससे अज़ीब ,हॅंस रही है और काजल भीगता है साथ
बसंतपुर जहां बचपन बीता वहां, मैंने जीवन के कई रंग देखे है।आस -पड़ोस में रंग खेलने जाती तो देखती कोई देवर- भाभी से जबरदस्ती की ठिठोली कर रहा होता।हम कुछ सखियाँ इंतज़ार करते की कब वो महानुभाव जाये और हमारा नंबर आये ,भाभी को रंगने का।लड़कियों का फिर भी हाल ठीक है ,पर भाभीयों पे तो जुल्म हो जाता है।हमें देख कर भाभी ख़ुशी से खिल जाती।उस मनचले देवर से कहती- जाई राउर बहिन लोग आएल बा ,उनका से खेली होली।देवर बेचारे दांत दिखा के चल देते।शुक्र है ,ऐसे महानुभाव ना तो मेरे देवर है न भाई।वरना कांड हो गया होता। खैर उनके जाते ही वो भाभी कहती -बड़ा बदमाश लईका बानी ,पूरा कपड़ा ख़राब कर देनी। इस पर उनकी सास कहती -जाए द परब के दिन ह। देवर -भाभी के त रिवाज ह हँसी मज़ाक के। कास भाभी कह पाती-
मेरी सेज हाज़िर है
पर जूते और कमीज़ की तरह
तू अपना बदन भी उतार दे
उधर मूढ़े पर रख दे
कोई खास बात नहीं
बस अपने अपने देश का रिवाज़ है।
सासु माँ आपने तो लाड़ से कह दिया -ये घर गन्दा मत करा। होने जा भाभी रसोई में बाड़ी।क्या आपने मुझसे पूछा की, मैं कैसे रंगना गना चाहती हूँ ,किससे रंगना चाहती हूँ ? काश कोई मुझे समझ पाता ,
मेरे दिल पे हाथ रखो ,मेरी बेबसी को समझो
मैं इधर से बन रही हूँ ,मैं इधर से ढ़ह रही हूँ।
इस नारी ससक्तिकरण के दौर में कब वो दिन आएगा ,जब भाभी अपने दिल की बात कह पायेगी,या फिर मनचले देवर को पटक के रंग मल देगी। लगता है बिन पीए भांग का नशा चढ़ गया मुझे ,तभी तो बकवास कर रही हूँ।होली है, कुछ प्रेम- मोहब्बत की बातें हो तो कुछ बात हो।ये क्या बौराए जैसा बात कर रही थी अबतक।पर मैं क्या करूँ, ये मौसम ही बाँवरा कर देने वाला होता है।कभी आलस में डूबे होते है ,तो कभी प्यार में।ऐसे में जो प्रेमी अपनी प्रेमिका को रँग नही पाए होंगे।सोम रस के आभाव में भाँग का भोग लगा कर ही चैता गायेंगे।
हीया जरत रहत दिन रैन हो रामा ,जरत रहत दिन रैन।
चलते -चलते आप सभी को होली की रंगीन शुभकामनायें।रंग -गुलाल ना सही आपलोगों के लिए एक रंगों से सजा गीत पहुंचे।
हीया जरत रहत दिन रैन हो रामा ,जरत रहत दिन रैन।
चलते -चलते आप सभी को होली की रंगीन शुभकामनायें।रंग -गुलाल ना सही आपलोगों के लिए एक रंगों से सजा गीत पहुंचे।
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