दिवस -दिवस का खेल है बड़ा निराला।हर किसी के लिए एक दिवस चिपका दिया गया है।एक तरह से ठीक भी है।जैसे हर दिन किसी एक का जन्मदिन या म्रत्यु शोक मनाना थोड़ा अटपटा लगेगा।उसी तरह हमेशा एक तरह का राष्ट्र प्रेम या क्षेत्रीय प्रेम घातक हो सकता है। प्रेम कोई भी हो ,दिन ब दिन कम -ज्यादा होते रहना चाहिए।इससे उदासीनता का बोध नही होता।22 मार्च ,आज बिहार दिवस है।आप सभी को बिहार दिवस की शुभकामनायें।हर व्यक्ति को अपनी जन्मभूमि से प्यार होता है।मुझे भी है। फिर भी मैं बिहार का ज़्यादा गुणगान ना करते हुए सिर्फ यही कहूँगी -ये बुद्ध की धरती है। बुद्ध जो अपने आप में सम्पूर्ण है।वही बिहार अभी सम्पूर्णता की ओर छोटे -बड़े कदम तलाश रहा है।कई समस्याएं है ,उसमे प्रमुख माइग्रेशन है जो माइग्रेन से भी ज्यादा खतरनाक होते जा रहा है।दोनों ही दशा का अनुभव है मुझे।खैर जो है सो है। चलिए आज भोजपुरी की कुछ कहावत के जरिये राजनीती का मज़ा लेते है।मेरी माँ के पास लगभग हर सिचुएशन के लिए कहावत मौजूद है।उन्ही से इंस्पायर होकर मैं एक कोशिश कर रही हूँ।शुरुआत मोदी जी से ,
मोदी जी -हाथी चले बाजार ,कुत्ता भूके हजार।
सोनिया जी -माइ करे जिया -जिया ,पूत करे छीया -छीया।
राहुल जी -पूत कपूत हो जाई , लेकिन माता कुमाता ना होई।
अखिलेश यादव जी -केकड़वा के बियान केकड़वे के खाये।
आदित्यनाथ योगी जी -भगवान के घर देर बा,अंधेर नाही।
स्वाति सिंह जी -बिलाई के भागे (भाग्य ) सिकहर टूटल।
मायावती जी -नाच ना आवे आँगन टेढ़ा।
अरविन्द केजरीवाल जी -मुस मोटहिये लोढ़ा होहियें।
और उत्तरप्रदेश की जनता -जेकर राम ना बिगड़ीहिये ओकर कोई ना बिगाड़ी।
मोदी जी -हाथी चले बाजार ,कुत्ता भूके हजार।
सोनिया जी -माइ करे जिया -जिया ,पूत करे छीया -छीया।
राहुल जी -पूत कपूत हो जाई , लेकिन माता कुमाता ना होई।
अखिलेश यादव जी -केकड़वा के बियान केकड़वे के खाये।
आदित्यनाथ योगी जी -भगवान के घर देर बा,अंधेर नाही।
स्वाति सिंह जी -बिलाई के भागे (भाग्य ) सिकहर टूटल।
मायावती जी -नाच ना आवे आँगन टेढ़ा।
अरविन्द केजरीवाल जी -मुस मोटहिये लोढ़ा होहियें।
और उत्तरप्रदेश की जनता -जेकर राम ना बिगड़ीहिये ओकर कोई ना बिगाड़ी।
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