Saturday, 18 March 2017

"अनकही "जो बहुत कुछ कहती है !!!

अनुष्का शर्मा की आने वाली फिल्म फिल्लौरी का ट्रेलर देखा।मजेदार फिल्म होगी ऐसा लगता है। ट्रेलर में दिखाया गया है -एक लड़के की कुंडली में मंगल दोष है ,इसलिए उसकी शादी पहले एक पेड़ से होगी।ऐसे सब्जेक्ट पर फिल्मे अलग -अलग तरीके से बनती रही है।"वेलकम टू सज्जनपुर "में भी काफी हास्यपद तरीके से कुंडली और शादी का खेल दिखाया गया है। फिल्लौरी का ट्रेलर देख कर ,मुझे "अमोल पालेकर "की एक बेहतरीन मूवी याद आई।बड़ी ही बख़ूबी से इसमें ज्योतिष शास्त्र और कुंडली के बारे में दिखाया गया है। फिल्म का नाम है -"अनकही " दीप्ती नवल ,अमोल पालेकर ,विनोद मेहरा ,श्रीराम लागू  ने बेहतरीन भूमिका निभाई है।फिल्म के संगीत का क्या कहना ,"जयदेव जी "ने म्यूजिक दिया है।मैंने पहली बार किसी फिल्म के लिए "भीमसेन जोशी "जी को गाते सुना था।

"रघुबर तुमको मेरी लाज ,सदा -सदा मैं शरण तिहारी "
आह क्या गीत है। इस गीत के लिए इन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिला।फिल्म के सभी गाने कमाल के है।मुझे तो आशा जी का गया -"मुझको भी राधा बना ले नन्दलाल "भी पसंद है।
फिल्म की कहानी कुछ यूँ है -अमोल पालेकर के पिता एक जानेमाने ज्योतिषी होते है। उनकी भविष्वाणी सच होती है। अमोल की एक प्रेमिका होती। अमोल उससे शादी की ईक्षा घरवालो के आगे ज़ाहिर करते है। शादी की बात सुनकर माँ -बाप बहुत खुश होते है और कुंडली मिलाते है। अमोल की कुंडली देख कर उनके पिता कहते है ,उनके जीवन में दो शादियाँ लिखी है। पहली पत्नी उनकी उनके बच्चे को जन्म देते समय मर जाएगी। पिता की भविष्यवाणी से अमोल और ऊसकी माँ दुखी हो जाता है। अमोल के पिता बड़े ज्योतिष है पर ,उनके पास भी इस कुंडली दोष का कोई उपाय नही।वो कहते है ,जो नियती है वो होकर रहेगी। ऐसे में अमोल अपनी प्रेमिका को खोना नही चाहते। इसी बीच गाँव से अमोल के पिता का एक दोस्त आता है।उसकी बेटी को दौरे पड़ते है।गाँव के ओझा से दिखा के वो थक गया है।इसलिए शहर अपने दोस्त के पास आया है।अमोल के घरवाले उस लड़की यानि दीप्ती नवल को डॉक्टर से दिखाते है। डॉक्टर कहता है ,बीमारी लाईलाज तो नही।पर कुछ कह नही सकते।समय के साथ ,प्यार और आत्मविश्वास से ठीक हो सकता है।अमोल सोचता है क्यों ना इस पागल लड़की से शादी कर लूँ। कुंडली के दोष के अनुसार इसके मरने के बाद प्रेमिका से शादी कर लूँगा। ये मर भी गई तो क्या बुरा होगा। पर इस बात के लिए ना तो अमोल का परिवार राज़ी होता है ना ही उसकी प्रेमिका। इधर दीप्ती के पिता कुंडली के श्राप से अनभिज्ञ ,ख़ुशी से पागल हो रहा है कि ,अमोल जैसा पढ़ा -लिखा लड़का उसकी लड़की से शादी करना चाहता है।अमोल के पिता अपने दोस्त की ख़ुशी को देखते हुए ,सशंकित मन से हाँ कर देते है। शादी के बाद अमोल और उसका परिवार एक आत्मग्लानि की पीड़ा से रोज गुजरता है। उन्हें लगता है एक निर्दोष की जान उनकी वजह से जाएगी।साथ ही  घर के लोगो का प्रेम पाकर दीप्ती ठीक हो जाती है।दीप्ती जब माँ बनने वाली होती है। घर के सभी लोग परेशान हो जाते है।गर्भ के आखिरी महीने तक ,दीप्ती को घरवालों और अमोल की परेशानी का कारण मालूम चलता है।वो अमोल की प्रेमिका से मिलने जाती है।वही उसका लेबर पेन शुरू हो जाता है।फिल्म का ये हिस्सा ओह क्या रचनात्मकता है। एक तरफ अमोल के माँ -बाप की बेचैनी ,दूसरी तरफ अमोल की प्रेमिका की ग्लानि ,तीसरा अमोल खुद नही चाहता दीप्ती मरे।दूसरी तरफ दीप्ती के पिता सब से अनभिज्ञ ख़ुशी में पागल गा रहे है  और इधर दीप्ती ,जो जानती.है वो मरने जा रही है। इन सारी तीव्र भावनाओं के बीच एक बार फिर से  "भीमसेन जोशी " जी की आवाज -
"हरी आओ हरी आओ" सच में लाज़वाब।
एक बेहतरीन फिल्म जिसमे दिखाया गया -कैसे एक पढ़ा लिखा इन्शान ज्योतिष की भविष्यवाणी के आगे झुक जाता है। ये जानते हए भी की जो होना है उसे टाला नही जा सकता।क्यों इन्शान भविष्य को लेकर चिंतित हो जाता है ? भविष्य बदलना तो उपर वाले के हाथ में है ,अगर आप आस्तिक है तो। अगर नास्तिक हुए तो क्या डरना। दोनों ही सूरतों में डर को छोड़ अपना कर्म करना ही बेहतर विकल्प है।बाद बाकी जिसे विश्वास करना है ,जरूर करे पर पागल ना बने। अगर समय हो तो ये फिल्म जरूर देखे।फिलहाल सुनिये ये गाना -

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