8 मार्च, ह्म्म्म ! क्या लिखूं आज के दिन ? चलिए शुरुआत सभी महिलाओं को शुभकामनायें देने से करती हूँ।सभी सखियों को महिला दिवस की ढ़ेरो शुभकामनायें।आप जैसी भी है , उम्र के जीस भी पड़ाव पर है ,या किसी भी परिस्थति में है आप बेहद शानदार है।वैसे तो भगवान ने हर एक चीज़ खूबसूरत बनाई है ,पर मुझे ऐसा लगता है कि ,महिलाओं के प्रति उनका सॉफ्ट कॉर्नर ज़्यादा रहा होगा। तभी तो इनको धैर्य ,ममता ,साहस ,बुद्धि ,सुंदरता और वाक पटुता सब कुछ से नवाज़ दिया।भगवान के बाद कोटि -कोटि प्रणाम माँ ,मुझे जन्म देने के लिए। जन्म लेना और जन्म देना दोनों अपने आप में एक जटल प्रक्रिया है ,फिर भी इसकी खूबसूरती सबसे बेमिशाल है।दोस्तों जन्म लेने का तो याद नही सिवा 8 मार्च के पर ,जन्म देने का अहसास क्या होता है ,अब मैं समझ चुकी हूँ।देखिये ना अभी मैं आपलोगों से अपने मन की बात शेयर कर रही हूँ ,और मेरा नन्हा सत्यार्थ मेरी गोद में चैन से सो रहा है।इससे सुखद अहसास क्या हो सकता है।बहुत-बहुत धन्यवाद भगवान आपका मुझे महिला बनाने के लिए।"सत्यार्थ " मेरे बेटे तुम्हे बहुत -बहुत आशिर्वाद और प्यार मुझे मातृत्व का सुख देने के लिए।विश्व में जितनी भी महियालें है ,मातायें है उनसबको मेरा कोटि -कोटि प्रणाम और शुभेक्षा ।कभी और अपने सत्यार्थ की कहानी लिखूंगी।आज बस मुझे और मेरे बच्चे सत्यार्थ को प्यार और आशीर्वाद से नवाज़े।
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