Tuesday, 27 June 2017

इंद्रधनुष !!!

झमाझम बारिश। थोड़ी धुप थोड़ी छाँव। ऐसे में इंद्रधनुष का उगना ,मानों मन का सात रंगों में रँग जाना। फिर से मैं बसंतपुर पहुँच  गई। वैसे तो कॉलोनी के बच्चे हर छोटी -छोटी बातों पर शोर मचाते। पर तीन चीजें ज्यादा कौतुहल और शोर का कारण बनती। पहला -बन्दर का आना। दूसरा -हेलीकॉप्टर का दिख जाना ,और तीसरा -इंद्रधनुष का उगना। बन्दर के आते ही सब उलहे हू -उलहे कहते उसके पीछे भागते। माँ कहती की आज तुमलोग को बन्दर जरूर काट लेगा। मैं तो डरपोक नंबर वन। भाग कर घर में चली जाती। भाई और बच्चों के साथ लगा रहता। वहीं जब हेलीकॉप्टर दिखता तो सब चिल्लाने लगते ,जहाज -जहाज। सब आसमान की तरफ देखने लगते। कोई थोड़ी देर से बाहर निकलता तो पूछता किधर ? दिख नहीं रहा है ? तो सब मिलकर जिधर हेलीकॉप्टर जा रहा होता दिखाते। हेने बा -हेने बा। कई बार तो दिखाने वाला /वाली अपने सिर से पूछने वाला का सिर सटा कर आसमान की ओर ऊँगली दिखा कर कहता ,वो रहा। अब दिखा ? पूछने वाले /वाली को फाइनली जहाज दिख जाता। दोनों खुश हो जाते। ठीक ऐसा ही इंद्रधनुष के साथ होता। सब भाग कर बाहर निकलते। बारिश की वजह से जो कैद मिली होती ,उससे मुक्ति मिल जाती।

इंद्रधनुष अमूमन जब थोड़ी धुप में बारिश हो तभी दिखता है। अमीन चाचा ने बताया था ,ऐसी बारिश में शेर -शेरनी की शादी होती रहती है। हमलोग चिल्लाते -शेर -शेरनी का बियाह हो रहा है ,शेर शेरनी का बियाह हो रहा है। नंदन -चंपक का इतना प्रभाव था कि ,सोचने लगती। कैसे हो रही होगी शादी ? कहाँ हो रही होगी ?जंगल तो यहाँ  पास नहीं ? आज के बच्चों जैसे हम क्यूट कहाँ ,जो सवाल पूछ -पूछ कर बड़े लोगों का दिमाग चाटते। फिर भी वो कहते हाउ क्यूट एंड स्मार्ट। हम तो खुद में सवाल ,खुद से जबाब। वैसे कभी -कभार पूछ भी लिया करते। तब भी स्मार्ट नहीं बड़ा तेज सुनकर संतोष कर लेते। पर ऐसा बहुत कम होता।

कॉलोनी के अमीन चाचा ,मुझे बहुत प्रेम करते। वहीं कई तरह की कहानियाँ शाम को सुना दिया करते। एक बार इंद्रधनुष के  बारे में बताया -प्रियंका जानती हो ,इंद्रधनुष इंद्र का धनुष है। इसलिए इसका नाम इंद्रधनुष है। वे असुर को इसी धनुष से मारते हैं। मैंने पूछा -चाचा अभी भी असुर हैं क्या ? वो हँसते हुए बोले -असुर तो हर जन्म में होते है। फिर कुछ सालों बाद -प्रभात सर ने इसके पीछे का विज्ञान बताया तो ,खुद पर हँसी आ गई। खैर आप यहाँ के इंद्रधनुष को देखें। इंद्रधनुष के ठीक बाद जलते हुए आसमान को देखे। लगता है ,इंद्र असुरों को जला कर चलें गए।


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