शनिवार अठारह मई सुबह दस बजे हम निकले इंडी 500 देखेने। एक सप्ताह तक चलने वाले इस रेस का आज प्री क्वालिफ़ाईग डे था। फ़ाइनल रेस हर साल मेमोरियल डे के दिन होता है। हमलोग सत्यार्थ को लेकर तय नही कर पा रहें थे कि, वो हमें इतनी देर यानी तीन घंटे की रेस और बाक़ी उसके पहले के प्रोग्राम तक में बैठेने देगा या नही। कारण “सी एन एन” अटलांटा और सीनसीनाटी ऑर्ट म्यूज़ियम हम ठीक से देख नही पाए थे साथ ही मेमोरियल डे पर लोंगविकेंड हो जाता है तो आराम से कही दूर का ट्रिप किया जा सकता है ये भी दिमाग़ में था, इसलिए तय हुआ फ़ाइनल ना जा कर इस बार प्री क्वालिफ़ाईग हीं देखने चलतें है। अगले साल फ़ाइनल में चले जायेंगे।
इंडी 500 के रेस में भाग लेने दूसरे देश से भी प्रतियोगी आतें है। मेरी लिए सबसे बड़ी ख़ुशी थी “फर्नांडो अलोंसो” को ट्रैक पर दौड़ते देखना। दो बार फ़ॉर्म्युला वन के विजेता अलोंसो जिन्हें मैं धोनी, राफ़ेल नडाल के साथ पीछे छोड़ चुकी हूँ वो आज मेरे सामने थे। ये एक सपना हीं था जो मैंने अपने कोलेज के दिनों में देखा था। ऐसा नही था या है कि मैं खेल की दीवानी रही उस क़दर जैसे मेरे स्वामी टेस्ट मैच के है पर मुझे दो-चार खेल देख कर हीं किसी ख़ास खिलाड़ी से लगाव हो जाता था। उस समय मैं स्पॉट स्टार ना की खेल की ख़बरों के लिए ख़रीदती थी बल्कि इन तीन स्टार की तस्वीर के लिए लेती थी। फटाफट इनकी ख़बर पढ़ी, तस्वीर बहुत अच्छी लगी तो काट कर दीवार पर चिपका दिया।
बीती बातों से बाहर आज की रेस की बात करें तो फर्नांडो अलोंसो इस बार रेस से बाहर हो गए हैं। दो दिन पहले उनकी गाड़ी का ट्रैक पर ऐक्सिडेंट भी हुआ था और दूसरी गाड़ी में अंत समय में कुछ बदलाव उन्हें टीम में जगह नही दिला पाई। हाँ मेरी क़िस्मत कहें कि मैंने उन्हें दो बार ट्रैक पर दौड़ते देखा।
इंडीऐनापोलिस के रेसिंग ट्रैक की बात करें तो ये ढाई मील यानी चार किलोमीटर में फैला अंडाकार ट्रैक है। यहाँ जीतने के लिए दो सौ राउंड लगाने होंगे सबसे कम समय में। अमूमन ये चक्कर पूरा करने में लगभग तीन से साढ़े तीन घंटे का समय लग जाता है और इस तरह 500 मिल की दूरी तय की जाती है।
फ़ाइनल रेस में 33 ड्राइवर ट्रैक पर होंगे। तीन रो और हर रो में 11 ड्राइवर।
रेस प्रेमियों के लिए यहाँ ढाई से तीन लाख लोगों की बैठने की जगह है। हाँ पर छत वाली सीटें कम हैं। हर गेट के नीचे कई सारे रेस्टरूम बने हैं पर अगर आपके साथ कोई छोटा बच्चा सत्यार्थ की उम्र तक का है तो डाइपर रूम या सीट नही बनाई गई कहीं भी।
खाने पीने के लिए आप घर से ले जाए तो बेहतर है, कारण यहाँ शाकाहारी लोगों के लिए सिर्फ़ फ़्रेंच फ़्राइज़ हीं है। साथ ही हेड फ़ोन ज़रूर रखें या कोई ईयर प्लग जैसा, बहुत आवाज़ होती है जब कार सामने से गुज़रती है।
भगवान की दया और सत्यार्थ की कृपा से हमने सभी ड्राईवर की रेसिंग देखी। क़रीब पाँच बजे वहाँ से निकले। सत्यार्थ बीच-बीच में परेशान तो कर रहा था ऐसे में थोड़ा घुमा लाओ ये सुविधा शायद फ़ाइनल को थोड़ी मुश्किल से पूरी होती कारण उस दिन सुना है इतनी भीड़ होती है की पैर रखने को जगह नही।
इंडी 500 के रेस में भाग लेने दूसरे देश से भी प्रतियोगी आतें है। मेरी लिए सबसे बड़ी ख़ुशी थी “फर्नांडो अलोंसो” को ट्रैक पर दौड़ते देखना। दो बार फ़ॉर्म्युला वन के विजेता अलोंसो जिन्हें मैं धोनी, राफ़ेल नडाल के साथ पीछे छोड़ चुकी हूँ वो आज मेरे सामने थे। ये एक सपना हीं था जो मैंने अपने कोलेज के दिनों में देखा था। ऐसा नही था या है कि मैं खेल की दीवानी रही उस क़दर जैसे मेरे स्वामी टेस्ट मैच के है पर मुझे दो-चार खेल देख कर हीं किसी ख़ास खिलाड़ी से लगाव हो जाता था। उस समय मैं स्पॉट स्टार ना की खेल की ख़बरों के लिए ख़रीदती थी बल्कि इन तीन स्टार की तस्वीर के लिए लेती थी। फटाफट इनकी ख़बर पढ़ी, तस्वीर बहुत अच्छी लगी तो काट कर दीवार पर चिपका दिया।
बीती बातों से बाहर आज की रेस की बात करें तो फर्नांडो अलोंसो इस बार रेस से बाहर हो गए हैं। दो दिन पहले उनकी गाड़ी का ट्रैक पर ऐक्सिडेंट भी हुआ था और दूसरी गाड़ी में अंत समय में कुछ बदलाव उन्हें टीम में जगह नही दिला पाई। हाँ मेरी क़िस्मत कहें कि मैंने उन्हें दो बार ट्रैक पर दौड़ते देखा।
इंडीऐनापोलिस के रेसिंग ट्रैक की बात करें तो ये ढाई मील यानी चार किलोमीटर में फैला अंडाकार ट्रैक है। यहाँ जीतने के लिए दो सौ राउंड लगाने होंगे सबसे कम समय में। अमूमन ये चक्कर पूरा करने में लगभग तीन से साढ़े तीन घंटे का समय लग जाता है और इस तरह 500 मिल की दूरी तय की जाती है।
फ़ाइनल रेस में 33 ड्राइवर ट्रैक पर होंगे। तीन रो और हर रो में 11 ड्राइवर।
रेस प्रेमियों के लिए यहाँ ढाई से तीन लाख लोगों की बैठने की जगह है। हाँ पर छत वाली सीटें कम हैं। हर गेट के नीचे कई सारे रेस्टरूम बने हैं पर अगर आपके साथ कोई छोटा बच्चा सत्यार्थ की उम्र तक का है तो डाइपर रूम या सीट नही बनाई गई कहीं भी।
खाने पीने के लिए आप घर से ले जाए तो बेहतर है, कारण यहाँ शाकाहारी लोगों के लिए सिर्फ़ फ़्रेंच फ़्राइज़ हीं है। साथ ही हेड फ़ोन ज़रूर रखें या कोई ईयर प्लग जैसा, बहुत आवाज़ होती है जब कार सामने से गुज़रती है।
भगवान की दया और सत्यार्थ की कृपा से हमने सभी ड्राईवर की रेसिंग देखी। क़रीब पाँच बजे वहाँ से निकले। सत्यार्थ बीच-बीच में परेशान तो कर रहा था ऐसे में थोड़ा घुमा लाओ ये सुविधा शायद फ़ाइनल को थोड़ी मुश्किल से पूरी होती कारण उस दिन सुना है इतनी भीड़ होती है की पैर रखने को जगह नही।
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