भाई -बहन संवाद महामारी के दिनों में ;
बहन:- क्या खाए हो ?
भाई:- खिचड़ी ।
बहन:- खिचड़ी ? सारा राशन चार दिन में हीं खा गए हा-हा-हा
भाई:- ना रे बाकी, दाँत निकल रहा है। खाया नही जा रहा। लगता है इसी समय सारा ज्ञान मिल जाएगा हा-हा-हा...
बहन:- दवा तो नही होगा घर में एक लौंग रख लो मुँह में आराम मिलेगा।
भाई:- हम्म देखते है। भाई हँसते हुए, वैसे तुम भी रामदेव बन गई हो।
भाई:- कैसे लोग कह रहा है की बोर हो रहें है। हमको तो जानती हो इतना समय भी कम लग रहा है।
बहन:- मुझे भी। कितना कुछ रोज अधूरा रह जा रहा है। उसपर तुम्हारा भगिना क्या हीं कहें...
भाई:- क्या कर रहा है ? दिखाओ उसे।
बहन:- फ़ोन उसकी तरफ़ दिखती हुई( वीडीयो कॉल चल रहा है) ये देखो टीवी में आग लगने पर यहाँ बैठा अपने फ़ायर ट्रक से आग बुझा रहा है।
भाई:- कितना समझ रहा है रे, देख मुँह से पानी की आवाज़ भी निकाल रहा है हा-हा-हा....
बहन:- हम्म। वहाँ के कैसे हालात है?
भाई :- सब ठीक हीं है। वैसे कुछ मज़दूर पैदल हीं अपने घर को निकल चुकें है। सुनने में आया है की कई जगह उन्हें गाँव में घुसने नही दिया जा रहा की करोना लेकर आया है सब।
बहन :- आह ! दुखद। इनका भी हाल ट्रेन टू बुसन वाला ना हो। सभी अपने को बचाने में ख़ुद हीं मरेंगे।
भाई:- ये तो अभी शुरुआत है। अभी तो महामारी के अलावा हमें आगे भी बहुत कुछ सहने को तैयार रहना होगा। मेरे मुहल्ले में दो दिन पहले एक चोर आ गया था। लोगों ने उसे ख़ूब पिटा है। अब किसी के घर में खाने को नही होगा तो क्या करेगा ? जान है तब ना करोना है।
बहन:- हम्म। यहाँ भी वहीं हालत है। ग़रीब हर कोने में ग़रीब हीं है। उसके लिए सबसे बड़ी महामारी पेट है। यहाँ भी 15-20दिन से सब बंद है पर मेरी सोसाइटी में मज़दूर लगभग हर रोज काम कर रहें है। हालाँकि यहाँ सोशल दूरी तो पहले से हीं है। लोग कहाँ लोगों से इतना मिलते है फिर भी यहाँ बीमारी फैलती जा रही है। लेकिन इनको कोई फ़र्क़ नही पड़ता जैसे। ये बेचारे हमारी सोसाइटी को सुंदर बनाने में लगे हुए है। इस समय में भी दुनियाँ को ख़ूबसूरत बनाने की चाह इंसान हीं कर सकता है।
भाई:- हम्म। चिंता की कोई बात नही बहन। मन और मस्तिष्क को मज़बूत रखना है। जो होना होगा वो होगा। वैसे ये कोई नया नही है। इससे पहले एच वन एन वन से भी करोड़ों लोग मरे थे। पर दुनिया आज भी है।
अच्छा ये बताओ कि और कोई साइंस से जुड़ी फ़िल्म ? आजकल मैं फ़िज़िक्स ख़ूब पढ़ रहा हूँ।
बहन:- अभी ऑल ओफ सड़ेन तो एक दो हीं नाम याद आ रहें है, इतना ना फ़िल्म देख लिए है की कोकटेल हो गया है हा-हा-हा
हाँ, थेओरी आउफ़ एवेरीथिंग, ब्यूटिफ़ुल माइंड, रेन मैन, फ़ॉरेस्ट गम्प तुम्हें पसंद आयेंगी।
बहन:- क्या खाए हो ?
भाई:- खिचड़ी ।
बहन:- खिचड़ी ? सारा राशन चार दिन में हीं खा गए हा-हा-हा
भाई:- ना रे बाकी, दाँत निकल रहा है। खाया नही जा रहा। लगता है इसी समय सारा ज्ञान मिल जाएगा हा-हा-हा...
बहन:- दवा तो नही होगा घर में एक लौंग रख लो मुँह में आराम मिलेगा।
भाई:- हम्म देखते है। भाई हँसते हुए, वैसे तुम भी रामदेव बन गई हो।
भाई:- कैसे लोग कह रहा है की बोर हो रहें है। हमको तो जानती हो इतना समय भी कम लग रहा है।
बहन:- मुझे भी। कितना कुछ रोज अधूरा रह जा रहा है। उसपर तुम्हारा भगिना क्या हीं कहें...
भाई:- क्या कर रहा है ? दिखाओ उसे।
बहन:- फ़ोन उसकी तरफ़ दिखती हुई( वीडीयो कॉल चल रहा है) ये देखो टीवी में आग लगने पर यहाँ बैठा अपने फ़ायर ट्रक से आग बुझा रहा है।
भाई:- कितना समझ रहा है रे, देख मुँह से पानी की आवाज़ भी निकाल रहा है हा-हा-हा....
बहन:- हम्म। वहाँ के कैसे हालात है?
भाई :- सब ठीक हीं है। वैसे कुछ मज़दूर पैदल हीं अपने घर को निकल चुकें है। सुनने में आया है की कई जगह उन्हें गाँव में घुसने नही दिया जा रहा की करोना लेकर आया है सब।
बहन :- आह ! दुखद। इनका भी हाल ट्रेन टू बुसन वाला ना हो। सभी अपने को बचाने में ख़ुद हीं मरेंगे।
भाई:- ये तो अभी शुरुआत है। अभी तो महामारी के अलावा हमें आगे भी बहुत कुछ सहने को तैयार रहना होगा। मेरे मुहल्ले में दो दिन पहले एक चोर आ गया था। लोगों ने उसे ख़ूब पिटा है। अब किसी के घर में खाने को नही होगा तो क्या करेगा ? जान है तब ना करोना है।
बहन:- हम्म। यहाँ भी वहीं हालत है। ग़रीब हर कोने में ग़रीब हीं है। उसके लिए सबसे बड़ी महामारी पेट है। यहाँ भी 15-20दिन से सब बंद है पर मेरी सोसाइटी में मज़दूर लगभग हर रोज काम कर रहें है। हालाँकि यहाँ सोशल दूरी तो पहले से हीं है। लोग कहाँ लोगों से इतना मिलते है फिर भी यहाँ बीमारी फैलती जा रही है। लेकिन इनको कोई फ़र्क़ नही पड़ता जैसे। ये बेचारे हमारी सोसाइटी को सुंदर बनाने में लगे हुए है। इस समय में भी दुनियाँ को ख़ूबसूरत बनाने की चाह इंसान हीं कर सकता है।
भाई:- हम्म। चिंता की कोई बात नही बहन। मन और मस्तिष्क को मज़बूत रखना है। जो होना होगा वो होगा। वैसे ये कोई नया नही है। इससे पहले एच वन एन वन से भी करोड़ों लोग मरे थे। पर दुनिया आज भी है।
अच्छा ये बताओ कि और कोई साइंस से जुड़ी फ़िल्म ? आजकल मैं फ़िज़िक्स ख़ूब पढ़ रहा हूँ।
बहन:- अभी ऑल ओफ सड़ेन तो एक दो हीं नाम याद आ रहें है, इतना ना फ़िल्म देख लिए है की कोकटेल हो गया है हा-हा-हा
हाँ, थेओरी आउफ़ एवेरीथिंग, ब्यूटिफ़ुल माइंड, रेन मैन, फ़ॉरेस्ट गम्प तुम्हें पसंद आयेंगी।
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