आज सुबह की दो ख़बरों ने थोड़ा परेशान कर दिया। वैसे तो थोड़ी परेशान तब से हूँ, जब से “करोना वायरस” दिल्ली पहुँचा। भाई अकेला है वहाँ। हर वक़्त चिंता लगी रहती पर वहीं है भारत जैसे देश में पुरी तरह सट डाउन करना भी इतनी जल्दी मुमकिन कहाँ? बस वहाँ हम सावधानी और प्रार्थनाओं के सिवा कुछ नही कर सकते।
यहाँ होली के दिन कुछ दोस्त घर आए थे। रंगों के बीच बातचीत जब करोना तक पहुँची तो मालूम हुआ की, कुछ लोग तो दिल्ली में टेस्ट पोज़िटिव आने पर अस्पताल से घर भाग जा रहें है। उन्हें डर है कि, हॉस्पिटल वाले उन्हें क़ैद ना कर लें।
इस बात में कितनी सच्चाई है मालूम नही पर हाँ हालात इटली तक ना पहुँचे तो हीं बेहतर है।
क्यों आपकी थोड़ी सी लापरवाही कइयों की जान ले ले? क्यों ना भारत सरकार भी आप पर ग़ैर इरादतन हत्या का जुर्म ठोक दे ?
भारत में शायद करोना अब भी मज़ाक़ का विषय हो पर अब अमेरिका इससे भयभीत है। वो अमेरिका जहाँ के मेडिकल के बारे में आपने सुना हीं होगा।
लोग अपनी सुरक्षा को लेकर इतने डरे हैं कि, स्टोरस में बेसिक दवाइयाँ, नैपकीन, सेनिटाईजर आदि नही मिल रहें है। आलम ये है कि भारतीय स्टोरों में चावल, आटे और सब्जियों की कमी हो गई है।
फिर भी अब तक जाने क्यों लग रहा था कि, हम सुरक्षित है। लोग यूँ हीं डर का माहौल बना रहें है। जैसे कई बार भारत में होता है ना, कि नमक ख़त्म होने वाला है और लोग पैकेट का पैकेट नमक भरने लगते हैं।
पर अब समझ आ रहा है की, ये माहौल डर का नही आपकी सुरक्षा का है। दुनिया चाहती है कि हम सब जीवित रहें, स्वस्थ रहें।
तभी तो सत्यार्थ के स्कूल से मेल आया कि स्कूल बंद रहेंगे अगले अपडेट तक। यहाँ के प्रशासन द्वारा सूचना जारी की गई कि, किसी भी सार्वजनिक स्थल पर झुंड में जमा ना हो। सिनेमा और प्ले भी कुछ दिनों के लिए बंद किए जाए।
और तो और इंडियाना में होने वाला प्रमुख गेम जो “नेशनल कॉलेज अथलेटिक अस्सोशिएशन” द्वारा कराए जाते है वो भी रद्द कर दिए।
आपको याद है ? इसी के तहत होने वाले फूटबोल मैच हम गए साल देखने गए थे।
ख़ैर इस बार तय हुआ कि, बिना दर्शक के हीं गेम होगा पर बाद नेब्रास्का के कोच की तबियत ख़राब होने पर ये पूरा गेम सीरिज़ हीं रद्द कर दिया गया।
इसके साथ हीं 13 मार्च को होने वाला “ सेंट पैट्रिक डे” का परेड भी रद्द कर दिया गया।
लोगों को बार-बार घर में रहने का हाथ धोने का सलाह दिया जा रहा है। अब थोड़ा भय लग रहा है कि अमेरिका भी कहीं “इटली” की राह पर आपात घोषित ना कर दे।
यहीं सोच रही थी कि, दूसरी ख़बर आई “टॉम हेंक्स” और उनकी पत्नी भी इस वायरस के चपेट में आ गए है। टॉम मेरे पसंदीदा एक्टर में से एक। ये वहीं हैं जिन्होंने “फ़िलिडेफ़िया” फ़िल्म में एक एड्स पीड़ित का किरदार निभाया था।
एक वायरस पीड़ित का किरदार जी कर कई अवार्ड जीतने वाले टॉम आज दूसरे वायरस की चपेट में है। भगवान करें आप जल्दी स्वस्थ हो।
इन्ही सब समाचारों के बीच मेरे दिमाग़ में एक फ़िल्म घूम रही है “ परफ़ेक्ट सेंस” एक ऐसी फ़िल्म जिसमें विश्व एक अनजान महामारी की चपेट में आ जाता है और इंसान अपनी सारी सेंसेज धीरे- धीरे खो देता है। सारी उम्मीदों और प्रयासों के बाद भी बच जाता है अंत में अंधेरा…
महामारी का अंधेरा।
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