Friday, 20 March 2020

रूम और करोना !!!

एक फ़िल्म है “रूम”
अगर आपकी फ़िल्मों  में रुचि है तो इसे ज़रूर देखिए। आजकल के हालत पर तो ये मेरे हिसाब से एकदम सटीक फ़िल्म है।
इसकी कहानी कुछ यूँ है;
एक लड़की अपने पाँच साल के बेटे के साथ एक छोटे कमरे में क़ैद है। लड़की को एक सनकी आदमी ने सात साल पहले अगवा  कर लिया था। उसके साथ बलात्कार करता और ज़िन्दा रहने भर का सामान उसे देता रहता। लड़की उस वक़्त 19 साल की डरी- सहमी, कमज़ोर महिला थी। एक-आध बार भागने की नाकाम कोशिश के बाद उसकी क़ैद और कठिन कर दी गई। इसी बीच उसे एक बेटा होता है। उसमें जीवन को उम्मीद जगी रहती है। रोज़ाना उसी छोटे कमरे में वो ख़ुद को और अपने बेटे को स्वस्थ रखने का हर उपाय करती है।

दिन बीतते है। बेटा बड़ा हो रहा है। बेटे की पाँचवी जन्मदिन पर उसे लगता है की, अब बाहर कैसे भी निकलना है नही तो उसका बेटा दुनिया नही समझ पाएगा,  ना हीं सुरक्षित रह पाएगा। ऐसे में वो अपने बेटे को ट्रेंड करती है भागने के लिए। मदद लेकर आने के लिए।
बेटा माँ की बताए तरीक़े से मरने की ऐक्टिंग करता है। उसका दुष्ट पिता जब उसका शव फेकनें को ले जाता है, वो ट्रक से कूद पड़ता है। फिर पुलिस की मदद से माँ भी आज़ाद हो जाती है।

तो इस कहानी को आप आज की इस भयंकर महामारी से जोड़ कर देखें।
* महामारी- वो शैतान इंसान है जिसने लड़की को अगवा किया था। लड़की शैतान की ताक़त को जानती हुई चुप-चाप क़ैद रही सालों। पर वो ख़ुद को तैयार कर रही थी।
* लड़की - आप और हम।
*  बेटा- तैयारी  और इलाज। तैयारी जो हम स्वस्थ रहने के लिए कर रहें है और इलाज, जिसकी खोज में डॉक्टर- वैज्ञानिक लगें हुए है।

आप भी कुछ  दिन क़ैद रह लीजिए बाक़ी तो आपको भी आज़ाद होना हीं है। बस लड़की की तरह धीरज रखिए। दिमाग़ से काम लीजिए। 

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