इन फूलों को हमने कई बार देखा होगा। हमारे आस -पास बेतरतीब से ,घांस के बीच अपनी जड़ें जमाये हुए। अपनी ओर खींचते हुए। कुछ को तो मैंने पूजा के लिए भी तोड़ा है ।फिर भी इन्हें वो प्यार नहीं मिला जो ,गुलाब ,गेंदा ,बेली आदि को मिलता हैं। इन पौधों को हम बाग़वानी के लिए भी इस्तेमाल नहीं करते। इसके बावजूद ये ढीठ की तरह कहीं भी उग आते है।अपनी ओर आकर्षित करते है ।बच्चों में तो ये फूल काफ़ी लोकप्रिय होते थे। खेलने के लिए गुलाब ,गेंदा तोड़ कर डाँट खाने से अच्छा इन्हीं से हमलोग प्यार कर लेते। इनके काँटेदार होने की वझह से कई बार हमलोंगों के हाथ में काँटे भी चुभ जाते ।फिर भी हम इन्हें तोड़ना नहीं छोड़ते । तो चलिए नागफनी से शुरुआत करते है। वैसे भारत में तो मैंने नागफनी की दो ही प्रजाति देखी है।एक जो मैंने बसंतपुर में लगाई थी। लम्बे ,थोड़े पतले से।उनमे सफ़ेद फूल खिलते थे। उन फूलों में ख़ुश्बू भी होती थी।कुछ इस तरह के थे वो
दूसरी पीले फूल वाले। जिनकी पत्तियां चौड़ी और मोटी होती है। वैसे नागफनी की तो अमेरिका में ढेरों प्रजाति है ।एरिज़ोना जब गई थी। वहां तो कई देखने को मिले।मेरी एक फ़्रेंड डेज़ी जो कोस्टारिका कीऔर उसका पति मीगेल जो पुर्तगाली से हैं ।उन्हें कैक्टस प्लांट का बहुत शौख है। उनके घर में भी कैक्टस प्लांट लगे थे।बातों -बातों में ही उसने बताया था ,की अमेरिका में तो कैक्टस प्लांट की तस्करी होती है ।पकड़े जाने पर भारी जुर्माना भी है ।पर वो कुछ ख़ास तरह के कैक्टस होते है ।बाक़ी तो मार्केट में आसानी से मिलते है।लोग ख़रीद कर उन्हें अपने घरों में ,गॉर्डन में लगाते है ।
ऊपर जो तस्वीर है ,इसमें दूसरा और तीसरा तो भुये का फूल है। कई बार हमलोग इसे रुईया या हवा के के फूल कहते। चौथा जो पीला फूल है ।उसे पोपी कहते थे शायद,ठीक से याद भी।यदि आपलोगों इसका नाम मालूम हो तो बताये ।इनकी पंखुडियाँ अलग करके हमलोग बजाते थे ।कुछ सीटी जैसी आवाज़ निकलती थी ।कभी -कभी जोर से फूँकने पर फट भी जाती थीं। नीचे जो तस्वीर है ,पहली तस्वीर -भेंगराज की है ।जिसके पत्तों से हमलोग सिलेट साफ़ करते थे ।मेरे चाचा की लड़की तो इसे पीस कर बालों में भी लगती थी ।कहते है इससे बाल काले होते है ।
भेंगराज के बाद जो तीन फूल है। उनको बस तोड़ लातें।नाम नहीं मालूम था /है।पाँचवा और छठा फूल ,क्रमशः भांग और मदार के फूल हैं ।इनको माँ भगवान शंकर पर चढ़ाने के लिए तोड़ती।कभी -कभी मुझसे भी मंगवाती ,पर हिदायत के साथ।ये दोनों नशीले पौधे होते।भांग तो फिर भी ठीक है ,पर मदार के फूल लाने के बाद ,माँ तुरंत हाथ साबुन से धोने को कहती ।मदार के फूल तोड़ते समय ,एक दूध जैसा द्रव्य निकलता है ।कहते है अगर वो गलतीं से आँख में पड़ गया तो अंधे हो सकते है ।अच्छा भांग भी अमेरिका में बैन है।आप दारू पी सकते है पर भांग के साथ पकडे जाने पर जेल है ।भांग को यहां मेरुआना कहते है ।
दूसरी पीले फूल वाले। जिनकी पत्तियां चौड़ी और मोटी होती है। वैसे नागफनी की तो अमेरिका में ढेरों प्रजाति है ।एरिज़ोना जब गई थी। वहां तो कई देखने को मिले।मेरी एक फ़्रेंड डेज़ी जो कोस्टारिका कीऔर उसका पति मीगेल जो पुर्तगाली से हैं ।उन्हें कैक्टस प्लांट का बहुत शौख है। उनके घर में भी कैक्टस प्लांट लगे थे।बातों -बातों में ही उसने बताया था ,की अमेरिका में तो कैक्टस प्लांट की तस्करी होती है ।पकड़े जाने पर भारी जुर्माना भी है ।पर वो कुछ ख़ास तरह के कैक्टस होते है ।बाक़ी तो मार्केट में आसानी से मिलते है।लोग ख़रीद कर उन्हें अपने घरों में ,गॉर्डन में लगाते है ।
ऊपर जो तस्वीर है ,इसमें दूसरा और तीसरा तो भुये का फूल है। कई बार हमलोग इसे रुईया या हवा के के फूल कहते। चौथा जो पीला फूल है ।उसे पोपी कहते थे शायद,ठीक से याद भी।यदि आपलोगों इसका नाम मालूम हो तो बताये ।इनकी पंखुडियाँ अलग करके हमलोग बजाते थे ।कुछ सीटी जैसी आवाज़ निकलती थी ।कभी -कभी जोर से फूँकने पर फट भी जाती थीं। नीचे जो तस्वीर है ,पहली तस्वीर -भेंगराज की है ।जिसके पत्तों से हमलोग सिलेट साफ़ करते थे ।मेरे चाचा की लड़की तो इसे पीस कर बालों में भी लगती थी ।कहते है इससे बाल काले होते है ।
भेंगराज के बाद जो तीन फूल है। उनको बस तोड़ लातें।नाम नहीं मालूम था /है।पाँचवा और छठा फूल ,क्रमशः भांग और मदार के फूल हैं ।इनको माँ भगवान शंकर पर चढ़ाने के लिए तोड़ती।कभी -कभी मुझसे भी मंगवाती ,पर हिदायत के साथ।ये दोनों नशीले पौधे होते।भांग तो फिर भी ठीक है ,पर मदार के फूल लाने के बाद ,माँ तुरंत हाथ साबुन से धोने को कहती ।मदार के फूल तोड़ते समय ,एक दूध जैसा द्रव्य निकलता है ।कहते है अगर वो गलतीं से आँख में पड़ गया तो अंधे हो सकते है ।अच्छा भांग भी अमेरिका में बैन है।आप दारू पी सकते है पर भांग के साथ पकडे जाने पर जेल है ।भांग को यहां मेरुआना कहते है ।
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