Monday, 15 May 2017

चार स्टेट तीन घंटे चालीस मिनट में ।

मुझे अमेरिका का ईस्ट कोस्ट ज़्यादा पसंद है ।यहाँ मौसम के हर रंग की अपनी ख़ूबसूरती है ।कभी पेड़ के पत्तों का रंगीन होना (फ़ॉल कलर )तो  कभी पेड़ों का फूलों से लद जाना ।कहीं समंदर तो कहीं न्यू यॉर्क जैसी चमक -धमक ।वेगास सी झलक लिए अटलांटिक सिटी तो ,नयग्रा जलप्रपात की बात ही अनोखी है ।ठंड में हर तरफ़ बर्फ़ की चादर ।ठंड कभी -कभी परेशान तो करती है ।फिर भी मुझे  टेक्सस की तुलना में ईस्ट कोस्ट ज़्यादा पसंद है ।खाने के इंडियन रेस्टरों के साथ मंदिर भी आसानी से मिल जाएँगे ।न्यू जर्सी तो एक तरह से इंडिया ही है ।प्लेनबोरो मे हमारे घर सामने ही स्वीमिंग पूल था ।गरमियों में वहाँ कुछ अंकल -आंटी ,लूँगी और नाईटी में बैठी हुई दिख जाती ।मेरे घर के सामने एलिसाबेला रही थी ।मुझसे पूछती लव्ली -हाउ टू वियर दोस्ज ड्रेस(धोती ) ? मेरे कहने का मतलब न्यू जर्सी में आपको इंडिया की कमी महसूस ही नहीं होगी ।छोटे -छोटे से स्टेट है ।इस सप्ताह हमलोग चार स्टेट लाँघते हुए ,डेलवेर पहुँच गए ।सिर्फ़ 3:40 मिनट में ।शनिवार को पूरे दिन बारिश थी ।शतेश बोले घर में रहने से अच्छा दोस्त से मिलकर आते है ।बस हमलोग निकल पड़े मौसम का मज़ा लेते हुए ।रास्ते में फ़िलिडेलफ़िया में मेरी एक दोस्त रहती है ।2/3 घंटे के लिए उसके यहाँ रुके ।स्वादिष्ट खाना खाया ,ख़ूब बाते की और अलेक्सा से भी मिली ।अलेक्सा एक ईको डॉट है जो साउंड से कमांड फ़ॉलो करती है ।जैसे -अलेक्सा लाइट ऑन और बल्ब जल उठते है ।अलेक्सा स्टोरी सुनाओ ,स्टोरी शुरू ।बात -चीत में समय कब निकल गया  पता ही चला ।विदा लेते समय गुड़िया ने मीर मस्ताना और मुझे कुछ गिफ़्ट दिए ।मुझे अपना गिफ़्ट देख कर घर की याद आ गई ।ख़ूबसूरत चूड़ियाँ थी ।डेलावेर का सफ़र हमलोगों ने आधे घंटे में तय किया ।वहाँ नन्हीं आराध्या ,मीर को देख कर हैरान थी ।कभी मीर के सिर को छूने की कोशिश करती कभी फ़ेस को ।माना करने पर रोने लगती ।रात के खाना के बाद ,गेम्स की बारी थी ।अर्चना बोली -भाभी आराध्या को सुला कर खेलते है ।एक बार सो गाई तो सुबह ही जागती है ।अर्चना उसे सुला कर ख़ुश होकर कहती है -अब खेलते है ।वो नहीं जागने वाली ।तभी मुस्कुराती हुई आराध्या ढुलमुल -ढुलमुल कर चलती आती है ।हमलोग हँस-हँस के पागल हो गए ।ख़ैर उसको फिर से सुला कर गेम शुरू हुआ ।3:30 तक हमलोग जगे रहे ।फिर सोने की तैयारी हुई ।अगले दिन नास्ता करके हमलोग निकल पड़े ।रास्ते में वैंकटेश्वरा टेम्पल (ब्रिज वॉटर टेम्पल ) में दर्शन करते हुए घर आना था ।ट्रैफ़िक मिल जाने से हमलोग घर देर से पहुँचे ।यहाँ की ट्रैफ़िक झेलाऊँ होती है ।सेफ़ डिस्टन्स रखो ,कोई हॉर्न नहीं ,कोई आड़ी टेडी बीच में घुसतीं गाड़ियों का झुंड नहीं ।बस धीरे -धीरे रेंगते रहो ।मंदिर और ट्रैफ़िक की एक तस्वीर ।

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