Wednesday 17 May 2017

सुई ,मैं और मीर मस्ताना !

यहाँ के डॉक्टर कमाल के हैं। आप जब भी जाते है ,उतनी ही देर के लिए आपसे इतनी दोस्ती गाढ़ लेंगें की पूछिए मत। आपसे ऐसे मिलेंगें ,जैसे आपको कुछ हुआ ही ना हो।छोटी -मोटी बीमारी जैसे ,सर्दी -खाँसी ,बुखार  ,फोड़े -फुंसी में तो पहली बार दवा ही नहीं देते।आपको पानी पीने और आराम करने की सलाह दे देते है ।दवा दे या ना दे ,हर विज़िट का कोपेय देना होता है। कोपेय आपके टोटल फीस का कुछ परसेंट होता है।जिसे आपको देना होता है।बाकी आपका इन्शुरन्स पेय करता है।यहाँ हर किसी का इन्शुरन्स होना जरुरी है।इन्शुरन्स के बिना कई डॉक्टर देखते नहीं।वही बिना इन्शुरन्स के फीस बहुत ज्यादा हो जाती है।

कल मेरे मीर मस्ताना को ,चार महीने पर लगने वाला टीका लगा।मुझे याद है ,जब मुझे कभी सुई लगती थी।दो -चार लोग तो पकड़ने वाले होते। निरमोही डॉक्टर सामने ही मेडिसीन की शीशी तोड़ता। दवा सुई में भरता। दो -चार बून्द सामने ही फिचकारी टाइप मार कर गिरता। फिर दांत दिखाते हुए कहता अरे कुछ नहीं होगा ।रोना बंद करो। पहले मैं ऊन -ऊन करके रोती रहती। जैसे थोड़ा सुई चुभता फिर, अहहां -अहहां करती। जब सुई चुभ जाती तो आआआआ करती। डॉक्टर साहब इसकी परवाह किए बिना फिचकारी मारते और दवा अंदर जाती। दवा अंदर जाते ही मेरा ,आय -आय काय -काय सब हो जाता।आँख -नाक सबका पानी मिल कर मुँह पर टपक रहा होता।

मेरा मीर मस्ताना बहादुर है।वो बस कांय से किया।आँखों में आंसू भर आये थे ।मुँह थोड़ी देर तक खुला रहा ।अपने यहाँ इसे साँस टँगा कर रोना कहते है।नर्स तुरंत गोदी में लेकर हिला दी ,चुप हो गया। तीन सुइयाँ पड़ी ।दो नर्स तैयार थी ।मीर के दोनो जाँघों को पकड़ा। दोनों ने आपस में बात की -रेडी और दोनो पैर में एक ही बार में घोप डाला ।सारा मामला खत्म।दवा -दारू सब बना के ,सुई में भर कर ही लाई थीं ।बच्चा रोया नहीं की ,उनका आई ऍम सॉरी बेबी ,ब्रेव लिटल मैन शुरू हो जाता है। अब बच्चे को मैन कह दोगे तो ,शर्म से चुप हो ही जायेगा।साथ में कार्टून वाला हैंडीप्लस चिपका देते हो ।मेरे डॉक्टर तो कहते थे -ज्यादा रोई तो एक और सुई लगा दूँगा।रुई में स्पीरिट लगा कर मल देते ।माँ को कहते -कोई बात नहीं बच्ची है ।डर गई है ।चुप हो जायेगी थोड़ी देर में ।

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