Thursday 25 May 2017

टीन ऐज मॉम !!!

ऐसे क्यों देख रही हो मुझे ? हाँ ,जो गोद में बच्चा अभी उठाया ,वो मेरा ही है। तुम भी तो माँ हो ,मुझे कैसे नहीं पहचान पा रही ? बीलिंग काउंटर की लाइन में लगे हम दोनों आँखों से बातें कर रहे थे। कभी तुम नजरे बचा कर मुझे देखती तो ,कभी मैं तुम्हें ।यहाँ दूसरों को घूरना असभ्यता जो है । वैसे कद काठी में हम दोनों बराबर ही होंगे। रँग का थोड़ा फर्क है बस। तुमने तो मुझे आसानी से इंडियन समझ लिया होगा। या हो सकता है मैक्सिकन भी समझा हो। इंडियन ,मैक्सिकन लड़कियाँ थोड़ी मिलती -जुलती जो है। पर मैंने तुम्हे सिर्फ अफ्रीकन या अमेरिकन अफ्रीकन समझा। बराबर की लाइन में तुम स्ट्रॉलर ले कर खड़ी हो। स्ट्रोलर में जो बच्चा है वो तो तुमसे थोड़ा अलग है। उसकी आंखे चाइनीज लोगों की तरह छोटी है। रंग भी थोड़ा साँवला है। पहली नज़र में मुझे लगा ही नहीं ये तुम्हारा बच्चा है। मैंने अपने मीर को गोद मे लिए तुम्हे जानने की कोशिश कर रही हूँ। तुमने और तुम्हारे बच्चे ने शायद मेरे मन की बात जान ली। वो थोड़ा रोया। तुमने  बच्चे को गोद में उठा लिया और इब्राहिम माय बेबी कह कर किस करने लगी। जिस तरह तुम उसे लाड़ कर रही थी। वो एक माँ ही कर सकती है।शनिवार का दिन है।भीड़ बहुत है ,इसलिए  बीलिंग  की लाइन भी  धीरे -धीरे आगे बढ़ रही थी। चलो हमलोग के पास समय है ,,एक दूसरे को देखने का। स्माइल करने का। पर ना तो तुमने बात की ना मैंने।

अरे रुको ,कही तुम्हे ये तो नहीं लगा  कि ,मैं भी टीन ऐज मॉम हूँ। बहन मैं अपने चंद सफ़ेद बालों की कसम खा कर कहती हूँ -मैं सिर्फ माँ हूँ। अब तुम हँस मत देना कि ,कसम खाई भी तो सफ़ेद बाल की। बाल सफ़ेद करवाना तो एक फैशन है यहाँ।

खैर तुम उम्र के जिस पड़ाव पर हो ,वो मैं पार कर चुकी हूँ। वो बात अलग है ,साल दर साल मैं और ख़ूबसूरत हो रही हूँ। मन से भी और तन से भी। ख़ुद पर ज़्यादा ना इठलाते हुए ,मैं तुम्हे फिर से देखती हूँ। तुम जो कपड़े ली हो ,उसे देख रही हो। सोच रही हूँ -कौन -कौन होगा तुम्हारे साथ ? कैसे हिम्मत आई होगी तुममे इस उम्र में बच्चे को सँभालने की ? भले शरीर से तुम माँ दिख रही हो पर क्या तुम्हारा मन भी माँ की तरह मज़बूत हुआ होगा ? सोच रही थी की ,आवाज़ आई -नेक्स्ट प्लीज़  और मैं आगे बढ़ गई। तुम पीछे छूट गई।

अमेरिका में टीन प्रेग्नेंसी बहुत ज़्यादा है।कुछ  कारण ,अशिक्षा ,गरीबी ,बच्चों का अकेले होना। तो कुछ सेक्सुअल हरासमेंट और टीन ऐज में मैच्योर दिखने की बीमारी है। दूसरा यहाँ अबॉरशन रेट बहुत कम है। वैसे सरकार इन बच्चों की मदद तो करती है ,पर ज्यादातर लड़कियां अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती है। जबकि स्कूल में डे केयर भी बना होता है ,इनके बच्चों के लिए। सरकार की तरफ से इन्हे कुछ काइंड ऑफ़ पेंशन जैसा मिलता है। जिससे ये आपने बच्चे की परवरिश कर सके।पर इसके लिए कुछ माप दंड होते है।


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