Tuesday 23 May 2017

कुत्तों की भी कम मौज नहीं यहाँ !!!

बहुत दिनों बाद मौसम अच्छा हुआ था। अच्छा इन द सेन्स जैकेट ,कोट का बोझ उतार फेकने का मौसम। लोग रंग- बिरँगे शॉट्स ,वन पीस ,स्कर्ट आदि में घूम रहें थे। हमलोग भी मीर के साथ डाउनटाउन के बीच बने पार्क में घूमने निकल पड़े। पार्क के सामने ही ,सड़क के दोनों तरफ रेस्टोरेंट है।लोग बाहर लगी टेबल कुर्सियों पर बैठ कर खा -पी रहे है। यहां अमूमन लोग शाम के सात से आठ बजे के बीच डिनर कर लेते है ,वीकडेज़ में। हमलोग शाम की चाय पीकर निकले थे। शतेश बोले साढ़े आठ हो गए है तपस्या। इधर ही खा कर घर चलते है। आईडिया तो अच्छा था ,पर मीर के भी फीडिंग का समय हो रहा था। मैंने मना किया और घर की तरफ चल पड़े। अपार्टमेंट के लिफ्ट के बाहर एक लड़की कुत्ते के साथ खाड़ी थी। उसका कुत्ता इतना बड़ा था कि ,हमलोग थोड़ा डर गए अचानक सामने देख कर। हमें इट्स ओके बोल कर ,मैडम ने अपने कुत्ते की बड़ाई की -ही इज अ फ्रेंडली डॉग। कुत्ता भी अपनी बड़ाई पर पूंछ हिलाने लगा। मैंने लड़की का दिल रखने के लिए कुत्ते का नाम पूछ लिया। लड़की खुश होकर बोली - जोज़ो।

 दूसरे दिन भी मौसम अच्छा था। शतेश ऑफिस से आते ही बोले -तपस्या ,आज समुंदर के किनारे वॉक पर चलते है। हमारे यहाँ से बाई ड्राइव ,पांच से सात मिनट की दुरी पर ही बीच है। शतेश ने फटाफट चाय बनाई। तबतक मैं मीर को तैयार  कर खुद भी कपडे चेंज करने चली गई। मुश्किल ये हुई ,आफ्टर डिलीवरी मेरे कोई शॉर्ट्स मुझे फिट नहीं आ रहे थे। इधर चाय की कप टेबल पर विराजमान हो गई थी। शतेश बोले -अरे यार चाय ठंढी हो जाएगी। कोई स्कर्ट पहन लो ,इतने तो है तुम्हारे पास।अब  स्कर्ट कौन आयरन करे। मैं उन्हें अनसुना कर ,एक काला शॉट्स खुद में फँसाया। चाय ख़त्म कर बीच के किनारे पहुँचे। बीच के स्टार्टिंग में ही दो बड़े पार्क है। जिसमे एक साइड कुछ लोग  फुटबॉल  खेल रहे थे  तो दूसरी तरफ बेसबॉल। कुछ फॅमिली उसी में डिस्क थ्रो खेल रही थी। हमलोग आगे बढ़ते हुए पार्किंग तक पहुंचे।
अच्छी खासी भीड़ थी। लोग गाड़ी के डिक्की (ट्रंक ) में खाने -पीने के सामान सजा रखे थे। पार्किंग में ही खाना -पीना शुरू था। कुछ लड़के गाड़ी का म्यूजिक लाऊड करके झुण्ड में बियर और सिगरेट का मजा ले रहे थे। कुछ लोग समुंदर के किनारे बने ट्रेल पर टहल रहे थे। तो कुछ अपने बच्चों के साथ पानी और बालू से खेल रहे थे। यहाँ  एक छोटा सा बोड वाक भी है। बोड वाक पर बैठने के लिए बीच में बेंच लगे हुए है। आप चाहे तो बैठ कर समुंदर को घंटों  निहार सकते है। 
एक बेंच पर एक बूढ़ी औरत बैठ कर बड़ी तल्लीनता से कुछ बुन रही थी। शायद अपने नाती -पोते का स्वेटर बना रही हो। उधर से मेरी नज़र हटी तो सामने देखा ,दो कप्पल कायकी (कश्ती खे ) कर रहे थे ।लड़का आगे -आगे लड़की एक कुत्ते के साथ पीछे -पीछे। कुत्ता भी निर्भीक खड़ा था ।वो भी मौसम और समुन्द्र का मजा ले रहा था ।मुझे बहुत अच्छा लगा देख कर । झट से एक तस्वीर ले ली ।पर दुरी की वजह से साफ़ नहीं आ पाई। मौसम इतना अच्छा था की आने का तो मन नहीं कर रहा था ,पर 8 :45 हो गए थे। हमलोगों ने घर का रास्ता लिया।आते हुए हमें एक लड़का गाड़ी के डिक्की पर चिपका हुआ दिखा। दूसरा लड़का ,गाड़ी फ़ास्ट ,स्लो चला रहा था। म्यूजिक कम ज्यादा कर रहा था। साथ में चिल्ला कर गाये जा रहा था। शायद नशे में थे। वैसे ऐसा यहाँ पहली बार देखा मैंने। पुलिस देखती तो फाइन हो सकती थी।खैर तस्वीरों का मजा लीजिये। 

हाँ मैंने उस बूढ़ी महिला की भी एक तस्वीर ली।बिना बताये ली ,इसलिए सामने से नहीं लिया।

No comments:

Post a Comment