Sunday, 21 May 2017

ठंढे आँसू !!!

सा रे गा मा पा लिटिल चैम्पस देख रही थी। आज मदर्स -डे स्पेशल शो था। माँ के ऊपर बने बेहतरीन गीत बच्चे गा रहे थे।वैसे तो सब अच्छा गाते है ,पर मुझे श्रेयान बहुत पसंद है। एक तो वो अच्छा गाता है ,दूसरा हमने मेरे सत्यार्थ यानि मीर मस्ताना का एक नाम" श्रेयान " भी सेलेक्ट किया था। पर आज रिया बिस्वास  (प्रतियोगी ) ने इमोशनल कर दिया। आज कुछ ऐसा हुआ ,जिससे मेरा दिल तो भरा ही ,आत्मा भी भींग गई।

हुआ यूँ ,मीर मस्ताना को गोद में लेकर मैं ये प्रोग्राम देख रही थी। मीर भी मेरे गले के चेन से खेलने में व्यस्त था। प्रोग्राम में  रिया ने ,तू कितनी अच्छी है ,गाना शुरू किया और मेरी आँखों से आँसू बरसने लगे। नाक ने भी रोना शुरू कर दिया। मुझे ऐसा देख ,शतेश हमेशा की तरह मेरे आँसू पोंछते हुए बोले -अरे -अरे ,बस तपस्या बस । पर मेरे आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। बरसते जा रहे थे। शतेश टिशू पेपर लाने कीचेन में गए। इधर मेरा मीर ये सब देख रहा था। पता नहीं उसे क्या महसूस हुआ ?  वो भी मेरी तरफ देख कर रोने लगा। आम तौर पर वो जोर -जोर से रोता है। पर ईस बार उसकी रुलाई अलग थी। कुछ मेरी तरह ही रो रहा था। म्यूट मोड़ में। अपने होठ को उल्टा करके। उसकी आँखे आँसुओं से भरी थी।चेहरे के भाव ऐसे ,मानों उसको कितनी तकलीफ़ हुई हो। मैंने मेरे मीर को ऐसे कभी नहीं देखा था। उसे तुरंत अपने  सीने से चिपका लिया। हम दोनों की धड़कनें एक सामान काँप रहे थे। मानों मेरी भावनाएँ मेरा मीर समझ रहा था। मेरे सीने से लगते ही वो चुप हो गया। पर उसके भरे ऑंखों के दो -चार बून्द ठंढे आँसू ,मेरे बाजू पर गिरे पड़े। फिर तो मेरे ठंढे आँसुओं की बरसात एक बार फिर चल पड़ी। सच में आज समझ आया ,माँ और बच्चों के तार कैसे दिल से जुड़े होते है। "सच में मेरी माँ  ,तुम ठीक ही गाती हो  "माई रे माई तोर मनवा जइसे गंगा के पनिया हो राम " इन्ही आँसुओं पर  एक दिलचस्प वाक्या याद आ रहा है।

मेरे एक दोस्त ने मुझसे पूछा था -तुम्हे मालूम है तपस्या ,आँसू कितने तरह के होते है ? उसका सवाल सुनकर मैं हँस पड़ी थी। बोली -आँसू का एक ही प्रकार होता है -गीला। उसने कहा हाँ ये ठीक है तपस्या ,पर आँसू दो तरह के होते है। एक ठंढे आँसू और दूसरा गरम। मैंने पूछा कैसे ? उसने कहा -जब आप  प्रेम में रोते हैं ,तो उस समय ठंढे आँसू बहते है। वहीँ जब आप क्रोध में रोते हैं ,तो गरम आँसू गिरते हैं। कितना सच कहा था उसने। सच में आज आँसू ठंढे ही थे। वैसे तो मुझे मीर के आँसू बिल्कुल नहीं पसंद। पर आज इन्हे देख कर लगा -मेरा नन्हा मीर मुझसे कितना प्यार करता है। आज के इसके आँसू मुझे हमेशा याद रहेंगें। इन्हें संभाल तो नहीं पाई मैं ,पर इन्हें अपने आँखों में जरूर छुपा लिया है। इस पल को मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी। मेरे मीर अब तुम कभी मत रोना। तुम्हारी माई ने तुम्हारे सारे आँसू अपनी आँखों में छिपा लिए है।

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