लक्ष्मी किसे नहीं भाती ? तभी तो इनके आगमन की तैयारी में पूरा परिवार महीनों से जुटा रहता है ।जहाँ महिलायें घर की सफाई में लगी रहती है वही पुरुष और बच्चे अपने आस पास की गंदगी को साफ़ करने में लगे रहते हैं ।
मुझे याद है हम लोग सरकारी आवास में रहते थे फिर भी लगभग हर साल माँ खुद के पैसों से घर की रंगाई करवाती ।कई बार घर साफ़ होता तो बस बहार की चार दीवारी की रंगाई होती। इसके लिए हम एक ही आदमी को बुलाते बाकी हम भाई बहन ही कर लेते थे। बड़ा अच्छा लगता जब रामराज मिट्टी का घोल दीवारों पर चढ़ता। दिवार के साथ लगभग हम भी रंग गए होते पर इस समय सब माफ़ था। कई बार रामराज मिट्टी और चुना का अंदाजा नहीं लगता ,कम पड़ जाता तो हम भाग कर बलराम चाचा की दूकान पर जातें। दौड़ कर चुना ,मिट्टी ले आतें।
फिर तो देखा -देखी और माँ के प्रोत्साहन से कॉलोनी के और लोग भी अपनी दिवार बहार से चमका लेते। सबके घर एक जैसे हो जातें।इसका कारन एक तो रामराज मिट्टी दूसरा पोचरा का कुचा। कॉलोनी में जिसके घर का पोचरा हो गया होता वो बचा हुआ कुचा बगल वाले को दे देता। इससे कभी कभार कुचा खरीदने का दाम पटाखों में लग जाता।
बलराम चाचा की दुकान कई मामलो में प्रिय थी। वहाँ रंगो के अलावा रस्सी ,लट्टू ,और छोटे -छोटे जानवर जैसे खरगोश ,चूहा ,कबूतर आदि भी होते। मैं जाती थी यहाँ झाड़ू ,रस्सी या रंगो के लिए पर कभी टाइम से आती नहीं थी। रुक कर कभी खरगोश तो कभी चूहा देखने लगती।
उम्मीद है आपके घर की भी सफाई हो गई होगी। सफाई यंत्र झाड़ू का लक्ष्मी पूजा के दिन बड़ा महत्व है। लोग इस दिन इसे खरीदते भी है लक्ष्मी मान कर। कई जगह तो इसकी पूजा भी की जाती है।
सफाई हो गई है तो अब देर किस बात की ,दिए ,मुंमबत्तियों की दुकान सजी है। जाइये खरीदिये और अपने घर को रौशन कर दीजिये।
आपने आस -पास का अँधेरा मिटा कर प्रेम ,सद्भाव की रौशनी कीजिये। मिठाइयाँ खाइए ,पटाके छोड़िये पर साथ ही प्रदुषण का भी ख्याल रखिये। स्वस्थ बसंतपुर तो स्वस्थ हम सब लोग।
आप सभी को दीपावली की बहुत -बहुत शुभकामनायें। माँ लक्ष्मी की कृपा आप सबके के साथ मुझ पर भी बनी रहे।
मुझे याद है हम लोग सरकारी आवास में रहते थे फिर भी लगभग हर साल माँ खुद के पैसों से घर की रंगाई करवाती ।कई बार घर साफ़ होता तो बस बहार की चार दीवारी की रंगाई होती। इसके लिए हम एक ही आदमी को बुलाते बाकी हम भाई बहन ही कर लेते थे। बड़ा अच्छा लगता जब रामराज मिट्टी का घोल दीवारों पर चढ़ता। दिवार के साथ लगभग हम भी रंग गए होते पर इस समय सब माफ़ था। कई बार रामराज मिट्टी और चुना का अंदाजा नहीं लगता ,कम पड़ जाता तो हम भाग कर बलराम चाचा की दूकान पर जातें। दौड़ कर चुना ,मिट्टी ले आतें।
फिर तो देखा -देखी और माँ के प्रोत्साहन से कॉलोनी के और लोग भी अपनी दिवार बहार से चमका लेते। सबके घर एक जैसे हो जातें।इसका कारन एक तो रामराज मिट्टी दूसरा पोचरा का कुचा। कॉलोनी में जिसके घर का पोचरा हो गया होता वो बचा हुआ कुचा बगल वाले को दे देता। इससे कभी कभार कुचा खरीदने का दाम पटाखों में लग जाता।
बलराम चाचा की दुकान कई मामलो में प्रिय थी। वहाँ रंगो के अलावा रस्सी ,लट्टू ,और छोटे -छोटे जानवर जैसे खरगोश ,चूहा ,कबूतर आदि भी होते। मैं जाती थी यहाँ झाड़ू ,रस्सी या रंगो के लिए पर कभी टाइम से आती नहीं थी। रुक कर कभी खरगोश तो कभी चूहा देखने लगती।
उम्मीद है आपके घर की भी सफाई हो गई होगी। सफाई यंत्र झाड़ू का लक्ष्मी पूजा के दिन बड़ा महत्व है। लोग इस दिन इसे खरीदते भी है लक्ष्मी मान कर। कई जगह तो इसकी पूजा भी की जाती है।
सफाई हो गई है तो अब देर किस बात की ,दिए ,मुंमबत्तियों की दुकान सजी है। जाइये खरीदिये और अपने घर को रौशन कर दीजिये।
आपने आस -पास का अँधेरा मिटा कर प्रेम ,सद्भाव की रौशनी कीजिये। मिठाइयाँ खाइए ,पटाके छोड़िये पर साथ ही प्रदुषण का भी ख्याल रखिये। स्वस्थ बसंतपुर तो स्वस्थ हम सब लोग।
आप सभी को दीपावली की बहुत -बहुत शुभकामनायें। माँ लक्ष्मी की कृपा आप सबके के साथ मुझ पर भी बनी रहे।
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