अमेरिकी प्रवास के पाँच सालों में ख़ूब घूमना फिरना हुआ ।अमेरिका के लगभग सारे टॉप डेस्टिनेशन लिस्ट पूरा हो चुके थे पर घुमाई तो जारी रखनी है ।ऐसे में कुछ ऐसी जगह जो हर बार सोचते पर किसी ना किसी वजह से जा नही पाते ,वहाँ जाने का सोचा ।रह गए लिस्ट में पोर्ट रीको ,अलास्का और हवाई थे ।इस बार पोर्ट रीको की पर्ची निकली और हमेशा की तरह मेरी विश पहले पूरी हुई कारण शतेश का मन हवाई जाने को था ।
तो चलिए इस बार नैचरल ब्यूटी ,सागर के घर पोर्ट रीको आपको लेकर चलती हूँ ।सच बताऊँ तो ये जगह मुझे इतनी अच्छी लगी कि फिर से अभी जा सकती हूँ ।इतनी बड़ी त्रासदी (मारिया हरिकेन 2017) के बावजूद हर चीज़ फूल आउफ़ लाइफ़ मुझे नज़र आ रही थी ।मैं तो लगभग खोई हुई हीं रहती थी ।ख़ूब कल्पनाएँ की ,बादल ऐसा तो समुन्दर ऐसे ,पेड़- पोधो की आकृति ऐसी ,कोफ़ी का स्वाद ऐसा तो ऑर्ट ऐसे ।मुझे हर चीज़ में एक आकृति नज़र आ रही थी ।
।दूसरी सबसे बड़ी बात, ये जगह कुछ- कुछ अपने भारत सा लग रहा था ।शतेश कभी साउथ में पहुँच जा रहे थे तो कभी छपरा ,वही मैं कभी महाराष्ट्र तो कभी सिवान -बेतिया ।यहाँ के लोग भी इतने मिलनसार की क्या हीं कहा जाय ।इसपर अलग से लिखूँगी ।और और और ये अमेरिका के दूसरे शहरों से बहुत अलग था ।यहाँ हर चीज़ की अलग पहचान थी ।दुकान भी अलग -अलग ,हाँ चेन स्टोर (वॉल्मार्ट ,टार्गट ,मेसीज और भी बड़े स्टोर )थे पर उनकी बनवाट थोड़ी अलग थी ।बाक़ी पूरे अमेरिका में आपको एक ही तरह के रंग -रूप बनावट में सारे दुकान ,घर ,स्कूल ,सड़क दिखेंगे ।
ख़ैर ,मुझे नही लगता कि मैं एक बार में इतनी सारी बातें लिख पाऊँगी इसलिए कम से कम तीन भाग में इस यात्रा को लिखने फिर से जीने का सोचा है ।
हम्म तो पहले बता दूँ कि पोर्ट रीको “कोलंबस “की खोज है और यहाँ के बंदरगाह की वजह से इसका नाम पोर्ट रीको पड़ा ।हिन्दी में इसका मतलब समृद्ध बंदरगाह है ।हाँ तो जब कोलंबस पहली बार भारत की खोज में निकला तो वो 1493 में यहाँ पहुँचा।यहाँ के निवासी “टाईनो” को देख वो इंदीयन कह कर सम्बोधित किया ।जो बाद में इंदीयन कहलाने लगे ।फिर यहाँ की राजधानी “सेन जुआन “बनी जो कि एक संत के नाम पर रखी गई ।
कैरिबियन सागर और उत्तरी अटलांटिक सागर के बीच बसे इस आईलैंड पर क़रीब तीन सौ बीचेज है।इसके आस पास छोटे -छोटे कई आईलैंड है ।जिसमें मुख्य कुलेब्रा ,वीकुएस ,मोना हैं ।कुलेब्रा का बीच तो विश्व के टॉप बीच की श्रेणी में भी आता है ।
हमने अपने तीसरे दिन की शुरुआत कुलेब्रा के बीच से हीं की ।यहाँ जाने के लिए आप फेरी या फिर लोकल फ़्लाइट से जा सकते हैं।हमने फेरी फ़जार्डो के एक नेवी बेस पोर्ट से ली ।पर पर्सन आने जाने का मिलकर कर टिकेट सिर्फ़ साढ़े चार डॉलर ।हम चकित थे ।यहाँ घूमना बहुत सस्ता है ।अगर फ़्लाइट से भी जाते तो सिर्फ़ 40डॉलर लगते पर हमें फ़्लाइट का पूरा मालूम बाद में हुआ ।कारण ज़्यादातर लोग फ़ेरी का हीं इस्तेमाल करते है ।फ़ेरी से हम 45मिनट में कुलेब्रा पहुँच गये ।वहाँ से टैक्सी ली फ़्लमेंको बीच के लिए ।ये भी सिर्फ़ पाँच डॉलर में आना जाना ।बीच का एंट्री टिकेट पर पर्सन 2डॉलर है ।
बीच का तट ख़ूब पेड़ पौधों से घिरा था ।मुर्ग़ियाँ बीच पर ऐसे हीं घूम रहीं थी पहली बार ऐसा देखा था ।सत्यार्थ की तो चाँदी हो गई थी ।और भी कई छोटे -मोटे जीव जंतु थे ।कुछ एक मच्छर जैसा काटता था पर मच्छर नही था ।वहाँ के एक दुकानदार ने बाताया कि मारिया के बाद अभी ये काफ़ी ठीक है ।
आज बस इतना ही ।आप तस्वीरों के ज़रिए सैर कीजिए .....
तो चलिए इस बार नैचरल ब्यूटी ,सागर के घर पोर्ट रीको आपको लेकर चलती हूँ ।सच बताऊँ तो ये जगह मुझे इतनी अच्छी लगी कि फिर से अभी जा सकती हूँ ।इतनी बड़ी त्रासदी (मारिया हरिकेन 2017) के बावजूद हर चीज़ फूल आउफ़ लाइफ़ मुझे नज़र आ रही थी ।मैं तो लगभग खोई हुई हीं रहती थी ।ख़ूब कल्पनाएँ की ,बादल ऐसा तो समुन्दर ऐसे ,पेड़- पोधो की आकृति ऐसी ,कोफ़ी का स्वाद ऐसा तो ऑर्ट ऐसे ।मुझे हर चीज़ में एक आकृति नज़र आ रही थी ।
।दूसरी सबसे बड़ी बात, ये जगह कुछ- कुछ अपने भारत सा लग रहा था ।शतेश कभी साउथ में पहुँच जा रहे थे तो कभी छपरा ,वही मैं कभी महाराष्ट्र तो कभी सिवान -बेतिया ।यहाँ के लोग भी इतने मिलनसार की क्या हीं कहा जाय ।इसपर अलग से लिखूँगी ।और और और ये अमेरिका के दूसरे शहरों से बहुत अलग था ।यहाँ हर चीज़ की अलग पहचान थी ।दुकान भी अलग -अलग ,हाँ चेन स्टोर (वॉल्मार्ट ,टार्गट ,मेसीज और भी बड़े स्टोर )थे पर उनकी बनवाट थोड़ी अलग थी ।बाक़ी पूरे अमेरिका में आपको एक ही तरह के रंग -रूप बनावट में सारे दुकान ,घर ,स्कूल ,सड़क दिखेंगे ।
ख़ैर ,मुझे नही लगता कि मैं एक बार में इतनी सारी बातें लिख पाऊँगी इसलिए कम से कम तीन भाग में इस यात्रा को लिखने फिर से जीने का सोचा है ।
हम्म तो पहले बता दूँ कि पोर्ट रीको “कोलंबस “की खोज है और यहाँ के बंदरगाह की वजह से इसका नाम पोर्ट रीको पड़ा ।हिन्दी में इसका मतलब समृद्ध बंदरगाह है ।हाँ तो जब कोलंबस पहली बार भारत की खोज में निकला तो वो 1493 में यहाँ पहुँचा।यहाँ के निवासी “टाईनो” को देख वो इंदीयन कह कर सम्बोधित किया ।जो बाद में इंदीयन कहलाने लगे ।फिर यहाँ की राजधानी “सेन जुआन “बनी जो कि एक संत के नाम पर रखी गई ।
कैरिबियन सागर और उत्तरी अटलांटिक सागर के बीच बसे इस आईलैंड पर क़रीब तीन सौ बीचेज है।इसके आस पास छोटे -छोटे कई आईलैंड है ।जिसमें मुख्य कुलेब्रा ,वीकुएस ,मोना हैं ।कुलेब्रा का बीच तो विश्व के टॉप बीच की श्रेणी में भी आता है ।
हमने अपने तीसरे दिन की शुरुआत कुलेब्रा के बीच से हीं की ।यहाँ जाने के लिए आप फेरी या फिर लोकल फ़्लाइट से जा सकते हैं।हमने फेरी फ़जार्डो के एक नेवी बेस पोर्ट से ली ।पर पर्सन आने जाने का मिलकर कर टिकेट सिर्फ़ साढ़े चार डॉलर ।हम चकित थे ।यहाँ घूमना बहुत सस्ता है ।अगर फ़्लाइट से भी जाते तो सिर्फ़ 40डॉलर लगते पर हमें फ़्लाइट का पूरा मालूम बाद में हुआ ।कारण ज़्यादातर लोग फ़ेरी का हीं इस्तेमाल करते है ।फ़ेरी से हम 45मिनट में कुलेब्रा पहुँच गये ।वहाँ से टैक्सी ली फ़्लमेंको बीच के लिए ।ये भी सिर्फ़ पाँच डॉलर में आना जाना ।बीच का एंट्री टिकेट पर पर्सन 2डॉलर है ।
बीच का तट ख़ूब पेड़ पौधों से घिरा था ।मुर्ग़ियाँ बीच पर ऐसे हीं घूम रहीं थी पहली बार ऐसा देखा था ।सत्यार्थ की तो चाँदी हो गई थी ।और भी कई छोटे -मोटे जीव जंतु थे ।कुछ एक मच्छर जैसा काटता था पर मच्छर नही था ।वहाँ के एक दुकानदार ने बाताया कि मारिया के बाद अभी ये काफ़ी ठीक है ।
आज बस इतना ही ।आप तस्वीरों के ज़रिए सैर कीजिए .....
No comments:
Post a Comment