Saturday, 16 March 2019

आमवस्या का उन्मुक्त प्रेम !!!

फरवरी का लड़का मार्च की लड़की ..

फरवरी :-छः साल हो गए आज साथ -साथ जीते -मरते  मार्च ।
मार्च :-हाँ फेब ।संयोग तो देखो आज सोमी अमवास्या है ।
फरवरी :-मुझे तो बस कलेंडर पर घेरा “चार मार्च”और तुम दिख रही हो ।

मार्च :-अच्छा !
चलो फिर थोड़ी देर के लिए बालकनी में आमवस्या को देखें।काली रातों को क्यों शिकायत हो कि ,प्रेमी पूर्णिमा से हीं प्रेम करतें  है ।

फरवरी :-हा -हा हा ....
तुम सच में बड़ी भोली हो मार्च ।यें रातों ये प्राकृति हमसे ज़्यादा जानती है ।इन्हें मालूम है कि प्रेमियों को कौन सी रातें ज़्यादा पसंद है ।
मार्च :-वो भला कैसे ?

फरवरी :-तुम्हीं बताओ ,प्रेम में आसहाय एक जोड़े को पूर्णिमा में चाँद को ताकना या अमवास्या में अपने चाँद के माथे को चूमना क्या अच्छा लगेगा ?
मार्च :-तुम सच में अजीब हो ।
फ़रवरी :-“अजीब” कह कर जो मेरे दिल को चुरा लेती हो तुम
काश मैं कोई कवि होता
काश मैं कोई ग़ालिब होता होता ।

मार्च (मुस्कुरा कर ):- चलो भी ।
फरवरी :- चलो पर एक बात बताऊँ ,आज की रात भूत -प्रेत ,जीव -जंतु सब तुम्हारी तरह उन्मुक्त होते है ।

मार्च :-मेरी तरह उन्मुक्त ? तो क्या वो मुझे काँट खाएँगे ? क्या वो मुझे तुमसे दूर कर देंगे ?
नही -नही ....

फ़रवरी :-मार्च की आँखो से गिरते गरम आँसुओं को अपने हथेलियों पर रोकते हुए -आज सच में पूर्ण अमावस्या है मार्च ।देखो तो कैसे तुम्हारा भावुक मन एक छोटे से मज़ाक़ से अति भावुक हो उठा ।

मार्च :-और तुम्हारा मन ?
फरवरी :-वो जो तुम्हारे आँखो से टपक रहा था ।

No comments:

Post a Comment