फ़रवरी का लड़का मार्च की लड़की
संगीत ....
फ़रवरी :-तेरे मेरे दिल का, तय था इक दिन मिलना
जैसे बहार आने पर, तय है फूल का खिलना
ओ मेरे जीवन साथी…ला ला ऊम ...
संगीत ....
फ़रवरी :-तेरे मेरे दिल का, तय था इक दिन मिलना
जैसे बहार आने पर, तय है फूल का खिलना
ओ मेरे जीवन साथी…ला ला ऊम ...
इसके आगे क्या है मार्च मुझे याद नही आ रहा ,ला ला ला उम्म्म ....
मार्च :-बताऊँ तो क्या मिलेगा मुझे ?
फ़रवरी :-संगीत ...
मार्च :-हा-हा-हा सच में अजीब हो तुम ।
वैसे क्या बात है आज “गारा” गाया जा रहा है ।
फ़रवरी :-इस काली रात में इससे सुंदर और क्या हो तुम्हीं बताओ ?
मार्च :-यमन भी तो है ।
फ़रवरी :-है तो बहुत कुछ मार्च पर जो तुम इतने प्यार से पूछोगी तो फिर यहीं कहूँगा -ऐसे तो ना देखो की हमको नशा हो जाए ,ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए ....
मार्च :-उफ़्फ़ !
(मुस्कुराते हुए ) आज लगता है इस गारा से पीछा नही छूटने वाला ।चलो इससे अच्छा मैं बता हीं देती हूँ -
लाख मना ले दुनिया ,साथ ना ये छूटेगा
आके मेरे हाथों में हाथ ना ये छूटेगा ,ओ मेरे जीवन साथी ला ला ला लाला लला ....
फ़रवरी :-आह ! सच में अद्भुत ।
मार्च :-हम्म।
फ़रवरी :-क्या सोचने लगी ?
मार्च :-यही कि ,जिया ले गए जी मोरा साँवरिया हा -हा-हा।
फ़रवरी :-अच्छा ...आगे ?
मार्च :-आगे कुछ नही ...
कभी -कभी मुझे लगता है तुम फ़रवरी ना होके सरोद हो ।स्टील के परतों पर गूँजती “डीपर सोल स्टरिंग “
फ़रवरी :-फिर तो तुम्हें सितार होना होगा मेरी मार्च ।
मार्च :-हाँ सच में ।अच्छा सोचो ,काश हम दोनो की नाड़ियाँ इन दोंनो तंत्री में बदल गई ।हमारे अंदर की प्राण वायु इसे बजा रही हो ।हमारा शरीर इन ध्वनि से प्रकाश में बदल रहा हो और अंततः दो तीव्र ध्वनि प्रकाश पुंज एक होकर ब्रह्मांड में फैल रहे हो ।
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