आजकल इंटरव्यू बहुत चल रहें है। कोई आम खाते-खाते खेतों में पहुँच जाता है तो कोई चाय के साथ धान की बात करता है। वैसे आम मुझे बहुत पसंद है पर धान वाली बात ज़्यादा दिल तक पहुँची। कारण बस ये है कि, धान की बात करने वाला मानो मेरे आस-पास की बात कर रहा हो। उसकी कई बातें मेरी जुड़ी यादें हों जैसे। बस एक हीं चीज़ खटकी इस इंटरव्यू की वो ये कि, जो इंटरव्यू ले रहें थे, बीच में ऐसे हीं उठ खड़े होते है। हो सकता हो ये इंटरव्यू को सहज बनाने का तरीक़ा हो पर मुझे कुछ ख़ास पसंद नही आया।
इंटरव्यू देने वाला मेरे गाँव-जावर के पास का हीं है। अपने गाँव के बारे में जो भी बातें वो बता रहा था, वो भले पुरानी हो पर अब भी बहुत कुछ ज़्यादा नही बदला। बगहा अनुमंडल के बेलवा गाँव का एक लड़का जो अपनी मेहनत से देश-दुनियाँ में नाम कमा रहा है। उसने सच हीं कहा कि उसके गाँव की धरती सोना है। धान छिड़क देने पर भी उग आतीं है। मैं ख़ुद इसकी गवाह हूँ, गौनाहा थाना के सहोदर माता के मंदिर जाते समय। फ़रवरी तक जहाँ हर जगह धान की कटाई कब की हो चुकी होती है, यहाँ धान के नहें पौधे लहलहा रहें थे।
उसने कहा कि उसके घर के पास से हिमालय दिखता है। मेरे भी घरवाले कहते हैं कि मेरे घर की छत से भी बारिश के बाद हिमालय दिखता है। एक दो बार मैंने भी देखने की कोशिश की पर मुझे नही दिखा। शायद ना मौसम की मर्ज़ी थी ना हिमालय की।
इंटरव्यू की एक और बात जो मुझे ख़ुद से जुड़ी हुई लगी वो ये कि, पिछले साल हीं मैंने योगिनंदा जी और लहरी महराज के बारे में पढ़ा । मैं चकित थी कि, ऐसा हो सकता है क्या, जैसा की योगी की आत्मकथा में लिखा है। फिर और ढूँढना शुरू किया, कुछ और पढ़ा पर ज़्यादा कुछ मिला नही किताब से इतर। अंत में यहीं मालूम हुआ की,
-एक क्रिया योगी अपनी जीवन उर्जा को मानसिक रूप से नियंत्रित कर सकता है। आधे मिनट का क्रिया योग एक वर्ष के प्राकृतिक आध्यात्मिक विकास के एक वर्ष के बराबर होता है।
-क्रिया योग ईश्वर-बोध, यथार्थ-ज्ञान एवं आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने की एक वैज्ञानिक प्रणाली है।
-क्रिया साधना को ऐसा माना जा सकता है कि जैसे यह “आत्मा में रहने की पद्धति” की साधना है”।
-लाहिरी महाशय ने योगानन्द को कहा कि, “यह क्रिया योग जिसे मैं इस उन्नीसवीं सदी में तुम्हारे जरिए इस दुनिया को दे रहा हूं, यह उसी विज्ञान का पुनः प्रवर्तन है जो भगवान कृष्ण ने सदियों पहले अर्जुन को दिया; और बाद में यह पतंजलि और ईसा मसीह, सेंट जॉन, सेंट पॉल और अन्य शिष्यों को ज्ञात हुआ।”
पीएस:- इंटरव्यू में वो सब दिखा जो एक इंसान की यात्रा हो सकती है। कोई अपनी जड़ें इतनी आसानी से नही भुलता। उम्र का एक ऐसा दौर आता है जब इंसान जीवन-मृत्यु की खोज में ,अध्यात्म की खोज में लग जाता है।
ख़ैर पुरी इंटरव्यू मैंने मनोज वाजपई की हाथों को देख कर निकाल दी:)
इंटरव्यू देने वाला मेरे गाँव-जावर के पास का हीं है। अपने गाँव के बारे में जो भी बातें वो बता रहा था, वो भले पुरानी हो पर अब भी बहुत कुछ ज़्यादा नही बदला। बगहा अनुमंडल के बेलवा गाँव का एक लड़का जो अपनी मेहनत से देश-दुनियाँ में नाम कमा रहा है। उसने सच हीं कहा कि उसके गाँव की धरती सोना है। धान छिड़क देने पर भी उग आतीं है। मैं ख़ुद इसकी गवाह हूँ, गौनाहा थाना के सहोदर माता के मंदिर जाते समय। फ़रवरी तक जहाँ हर जगह धान की कटाई कब की हो चुकी होती है, यहाँ धान के नहें पौधे लहलहा रहें थे।
उसने कहा कि उसके घर के पास से हिमालय दिखता है। मेरे भी घरवाले कहते हैं कि मेरे घर की छत से भी बारिश के बाद हिमालय दिखता है। एक दो बार मैंने भी देखने की कोशिश की पर मुझे नही दिखा। शायद ना मौसम की मर्ज़ी थी ना हिमालय की।
इंटरव्यू की एक और बात जो मुझे ख़ुद से जुड़ी हुई लगी वो ये कि, पिछले साल हीं मैंने योगिनंदा जी और लहरी महराज के बारे में पढ़ा । मैं चकित थी कि, ऐसा हो सकता है क्या, जैसा की योगी की आत्मकथा में लिखा है। फिर और ढूँढना शुरू किया, कुछ और पढ़ा पर ज़्यादा कुछ मिला नही किताब से इतर। अंत में यहीं मालूम हुआ की,
-एक क्रिया योगी अपनी जीवन उर्जा को मानसिक रूप से नियंत्रित कर सकता है। आधे मिनट का क्रिया योग एक वर्ष के प्राकृतिक आध्यात्मिक विकास के एक वर्ष के बराबर होता है।
-क्रिया योग ईश्वर-बोध, यथार्थ-ज्ञान एवं आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करने की एक वैज्ञानिक प्रणाली है।
-क्रिया साधना को ऐसा माना जा सकता है कि जैसे यह “आत्मा में रहने की पद्धति” की साधना है”।
-लाहिरी महाशय ने योगानन्द को कहा कि, “यह क्रिया योग जिसे मैं इस उन्नीसवीं सदी में तुम्हारे जरिए इस दुनिया को दे रहा हूं, यह उसी विज्ञान का पुनः प्रवर्तन है जो भगवान कृष्ण ने सदियों पहले अर्जुन को दिया; और बाद में यह पतंजलि और ईसा मसीह, सेंट जॉन, सेंट पॉल और अन्य शिष्यों को ज्ञात हुआ।”
पीएस:- इंटरव्यू में वो सब दिखा जो एक इंसान की यात्रा हो सकती है। कोई अपनी जड़ें इतनी आसानी से नही भुलता। उम्र का एक ऐसा दौर आता है जब इंसान जीवन-मृत्यु की खोज में ,अध्यात्म की खोज में लग जाता है।
ख़ैर पुरी इंटरव्यू मैंने मनोज वाजपई की हाथों को देख कर निकाल दी:)
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