आज मार्टिन लूथर किंग जूनियर की पुण्यतिथि है। ऐसे में मैं आपसबको अटलांटा लेकर चलती हूँ, जहाँ इनका जन्म हुआ था। जन्म और मृत्य के बीच इन्होंने जो 39साल साल में जिया वो किसी प्रेरणा से कम नही। इनके योगदान के लिए इन्हें सबसे कम उम्र में विश्व शांति का नोबल पुरस्कार मिला।
गांधी जी के विचारों से प्रभावित लूथर किंग ने रंग भेद मिटाने के लिए गांधी जी का हीं मार्ग अपनाया था। चर्च के पादरी मार्टिन ने निर्णय लिया कि, “ मैंने प्रेम को हीं अपनाने का निर्णय लिया है। घृणा करना तो बेहद कष्टदायक काम है।”
इन्होंने ने अमेरिका में फैले गोरे -काले के भेद को मिटाने के लिए एक आंदोलन चलाया जो कि 381दिन चला।
हुआ यूँ था कि, अट्लैंटा के मार्टिन को अल्बामा के एक चर्च में उपदेश देने के लिए बुलाया गया। वहाँ एक अश्वेत महिला ने बस में अपना सीट किसी गोरे को देने से मना किया, जिसके कारण उसे गिरफ़्तार होना पड़ा। कुछ -कुछ गांधी जी के अफ़्रीका ट्रेन यात्रा जैसा। इसके बाद मार्टिन लूथर ने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और कामयाब रहें।
संयोग देखिए की गांधी के मार्ग पर चलने वाले मार्टिन की हत्या भी कुछ गांधी जैसी हीं रही। इन्हें उस वक़्त होटेल में गोली मार दी गई , जब ये मेम्फ़िस में सफ़ाई कर्मचारियों के स्वस्थ और उनकी सुविधाओं के बारे में विरोध करने गए थे।
अब बात करतीं हूँ अट्लैंटा की। क्रिसमस की छुट्टी पर हमलोग यहाँ गए थे। पर क्रिसमस की वजह से इनका जहाँ जन्म हुआ वो स्थान बंद था। इसे एक नैशनल हिस्टॉरिकल साइट का नाम दिया गया है। ऐसे में हमलोग बाक़ी की जगहें देखने चले गए। उन सब के बारे में दूसरे दिन बताऊँगी। अभी बात करती हूँ “द सेंटर फ़ॉर सिवल एंड ह्यूमन राइट्स “म्यूज़ियम बारे में।
मार्टिन लूथर किंग के कामों को दर्शाने के लिए एक ख़ूबसूरत म्यूज़ियम अट्लैंटा डाउनटाउन में बना है। यहाँ पर विश्व भर में हो रहे या हुए सिवल राइट्स के बारे में जानकारी है। दो फ़्लोर के इस म्यूज़ियम में आपको मार्टिन लूथर किंग की जीवनी और उनके संघर्ष को कहीं पेंटिंग तो कही ओडियो तो कहीं छोटे -छोटे वीडीयो में दिखाया गया है। इनका प्रमुख भाषण “आई हैव आ ड्रीम “कुछ बीस भाषाओं में लिखा हुआ मिल जाएगा। साथ हीं अमेरिका के दूसरे प्रांत में कैसे काले लोगों ने विरोध किया था। कैसे किसी निग्रो बच्ची को स्कूल में दाख़िला नही मिला तो कैसे किसी पुलिस वाले ने किसी युवक को मार डाला आदि क़िस्से भी दर्ज हैं।
इसके साथ यहाँ गांधी ,मंडेला और लूथर के कई विचार लिखें है। मार्टिन लूथर किंग की कुछ चिट्ठियाँ ,लेख और उनके कुछ सामान को भी संग्रह किया गया है। साथ ही “निर्मल कुमार बोस” की “सेक्शन आउफ़ गांधी “ की भी एक प्रति है।मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था गांधी और भारत का कई जगह ज़िक्र पढ़ कर , सुनकर ।
हाँ यहाँ तस्वीरें लेने की अनुमति नही है। बाहर के हॉल या निचले तले पर आप कुछ तस्वीरें ले सकतें है। उन्हीं कुछ तस्वीरों के साथ मार्टिन लूथर किंग कुछ विचार जो मुझे प्रभावित करतें है-
* सौ सफल विचार बनाने से अच्छा, एक सफल विचार को गति देना है।यहीं सफलता का मूल मंत्र है।
* यदि तुम उड़ नही सकते हो तो दौड़ो, यदि तुम दौड़ नही सकते हो तो चलो, यदि तुम चल नही सकते हो तो रेंगो, लेकिन तुम जैसे भी करो तुम्हें आगे बढ़ना हीं होगा।
*और अमेरिकी सिवल राइट्स मूवमेंट के नायक को उनकी हीं विचार द्वार सदर नमन।
किसी भी जगह हो रहा अन्याय हर स्थान पर न्याय के लिए ख़तरा है ।
गांधी जी के विचारों से प्रभावित लूथर किंग ने रंग भेद मिटाने के लिए गांधी जी का हीं मार्ग अपनाया था। चर्च के पादरी मार्टिन ने निर्णय लिया कि, “ मैंने प्रेम को हीं अपनाने का निर्णय लिया है। घृणा करना तो बेहद कष्टदायक काम है।”
इन्होंने ने अमेरिका में फैले गोरे -काले के भेद को मिटाने के लिए एक आंदोलन चलाया जो कि 381दिन चला।
हुआ यूँ था कि, अट्लैंटा के मार्टिन को अल्बामा के एक चर्च में उपदेश देने के लिए बुलाया गया। वहाँ एक अश्वेत महिला ने बस में अपना सीट किसी गोरे को देने से मना किया, जिसके कारण उसे गिरफ़्तार होना पड़ा। कुछ -कुछ गांधी जी के अफ़्रीका ट्रेन यात्रा जैसा। इसके बाद मार्टिन लूथर ने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई और कामयाब रहें।
संयोग देखिए की गांधी के मार्ग पर चलने वाले मार्टिन की हत्या भी कुछ गांधी जैसी हीं रही। इन्हें उस वक़्त होटेल में गोली मार दी गई , जब ये मेम्फ़िस में सफ़ाई कर्मचारियों के स्वस्थ और उनकी सुविधाओं के बारे में विरोध करने गए थे।
अब बात करतीं हूँ अट्लैंटा की। क्रिसमस की छुट्टी पर हमलोग यहाँ गए थे। पर क्रिसमस की वजह से इनका जहाँ जन्म हुआ वो स्थान बंद था। इसे एक नैशनल हिस्टॉरिकल साइट का नाम दिया गया है। ऐसे में हमलोग बाक़ी की जगहें देखने चले गए। उन सब के बारे में दूसरे दिन बताऊँगी। अभी बात करती हूँ “द सेंटर फ़ॉर सिवल एंड ह्यूमन राइट्स “म्यूज़ियम बारे में।
मार्टिन लूथर किंग के कामों को दर्शाने के लिए एक ख़ूबसूरत म्यूज़ियम अट्लैंटा डाउनटाउन में बना है। यहाँ पर विश्व भर में हो रहे या हुए सिवल राइट्स के बारे में जानकारी है। दो फ़्लोर के इस म्यूज़ियम में आपको मार्टिन लूथर किंग की जीवनी और उनके संघर्ष को कहीं पेंटिंग तो कही ओडियो तो कहीं छोटे -छोटे वीडीयो में दिखाया गया है। इनका प्रमुख भाषण “आई हैव आ ड्रीम “कुछ बीस भाषाओं में लिखा हुआ मिल जाएगा। साथ हीं अमेरिका के दूसरे प्रांत में कैसे काले लोगों ने विरोध किया था। कैसे किसी निग्रो बच्ची को स्कूल में दाख़िला नही मिला तो कैसे किसी पुलिस वाले ने किसी युवक को मार डाला आदि क़िस्से भी दर्ज हैं।
इसके साथ यहाँ गांधी ,मंडेला और लूथर के कई विचार लिखें है। मार्टिन लूथर किंग की कुछ चिट्ठियाँ ,लेख और उनके कुछ सामान को भी संग्रह किया गया है। साथ ही “निर्मल कुमार बोस” की “सेक्शन आउफ़ गांधी “ की भी एक प्रति है।मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था गांधी और भारत का कई जगह ज़िक्र पढ़ कर , सुनकर ।
हाँ यहाँ तस्वीरें लेने की अनुमति नही है। बाहर के हॉल या निचले तले पर आप कुछ तस्वीरें ले सकतें है। उन्हीं कुछ तस्वीरों के साथ मार्टिन लूथर किंग कुछ विचार जो मुझे प्रभावित करतें है-
* सौ सफल विचार बनाने से अच्छा, एक सफल विचार को गति देना है।यहीं सफलता का मूल मंत्र है।
* यदि तुम उड़ नही सकते हो तो दौड़ो, यदि तुम दौड़ नही सकते हो तो चलो, यदि तुम चल नही सकते हो तो रेंगो, लेकिन तुम जैसे भी करो तुम्हें आगे बढ़ना हीं होगा।
*और अमेरिकी सिवल राइट्स मूवमेंट के नायक को उनकी हीं विचार द्वार सदर नमन।
किसी भी जगह हो रहा अन्याय हर स्थान पर न्याय के लिए ख़तरा है ।
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